सरपंच और जनपद सदस्य के हस्ताक्षर के बाद ही मिलेगा शिक्षकों को वेतन
रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षक स्कूल शिक्षा विभाग के लगातार निकलने वाले अजीबोगरीब आदेशों से खासे परेशान हैं। ऐसे ही तुगलकी आदेश जाहिर करते है कि शिक्षक अधिकारियों की नजर में सॉफ्ट टारगेट बन कर रह गए है।
कोरबा जिले में विकास खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी किए गए एक आदेश को ही देख लीजिए जिसमें सभी सीएसी को निर्देशित करते हुए यह कहा गया है कि शिक्षकों को वेतन का भुगतान कार्यालय द्वारा तभी किया जाएगा जब मासिक वेतन देयक पत्रक में सरपंच और जनपद सदस्य का हस्ताक्षर रहेगा। ऐसा न होने की स्थिति में संबंधित संस्था के शिक्षकों का वेतन भुगतान रोक दिया जाएगा । अब सबसे बड़ी बात यह है कि समय पर शिक्षकों को वेतन भुगतान न कर पाने वाला विकास खंड कार्यालय एक और ऐसी व्यवस्था क्यों तय कर रहा है जिसकी आड़ में शिक्षकों के वेतन भुगतान में और अधिक विलम्ब होगा। सवाल यह भी उठता है की इस आदेश पर विभाग के उच्चाधिकारियों की सहमति हैं भी या नहीं।
इस मुद्दे पर संविलियन अधिकार मंच के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे का साफ़ साफ़ कहना है कि सरकार और राज्य कार्यालय शिक्षकों को समय पर वेतन भुगतान करने के लिए जितनी अच्छी व्यवस्था बनाने में लगा हुआ है, निचले स्तर के कार्यालय उतनी ही तेजी से व्यवस्था को बिगाड़ने में लगे हुए हैं ।
राज्य कार्यालय से पर्याप्त मात्रा में आबंटन जारी होने के बाद भी लगभग 20 दिन गुजर जाने के बाद प्रदेश के कई ब्लॉक ऐसे हैं जिनमें वेतन भुगतान नहीं हुआ है और यह सिर्फ स्थानीय कार्यालयों की लापरवाही के चलते हैं , अब कोरोना काल में एक और बेवजह ऐसी नीति तैयार कर की जा रही है जिससे और अधिक वेतन में लेटलतीफी होगी और अब सरपंच और जनपद सदस्य के हस्ताक्षर के नाम पर भी घुमाया जाएगा ।
यह सीधे तौर पर एक गलत प्रक्रिया है और हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे और उच्च कार्यालय को अवगत कराएंगे। निम्न कार्यालय इस बात को सुनिश्चित करें कि शिक्षकों को समस्त लाभ समय पर मिले न की ऐसी व्यवस्था बनाएं जिससे वह और अधिक प्रताड़ित हो ।