April 14, 2025

शिक्षा का मंदिर बना मवेशियों का तबेला, परिवार ने किया स्कूल भवन पर कब्जा, अधर में लटका बच्चों का भविष्य

jash school11

जशपुर। छत्तीसगढ़ में एक ऐसा शिक्षा का मंदिर हैं जहां पहले कभी बच्चों की मासूम किलकारियां गूंजती थीं, आज वहां गाय-भैंसों का डेरा है. सूबे के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह जिले जशपुर के पत्थलगांव विकासखंड स्थित मोहनीपुरी का शासकीय प्राथमिक शाला अब एक तबेला बन चुकी है. यहां पहले बच्चों को शिक्षा दी जाती थी, लेकिन अब मवेशी बंधे हैं और दूध-दही का कारोबार फल-फूल रहा है.

करीब आठ साल पहले, मोहनीपुरी प्राथमिक शाला को पास के ढोंढाडीह स्कूल में मर्ज कर दिया गया, लेकिन प्रशासन ने इसे बंद करने के बाद सील करने की जरूरत नहीं समझी. न ही इसे किसी अन्य सरकारी उपयोग में लिया गया. नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे एक स्थानीय परिवार ने इसमें अपना आशियाना बना लिया. अब स्कूल की खाली जगह को गाय-भैंसों के तबेले में बदल दिया गया है. अब हालात यह है कि इस स्कूल की इमारत में कूलर और पंखे लगे हुए हैं, जैसे कि यह किसी का निजी मकान हो.

स्कूल भवन पर कब्जा करने वाले परिवार का दावा है कि यह जमीन उनकी पुश्तैनी संपत्ति है, जिस पर स्कूल बनवाया गया था. करीब 8 साल पहले स्कूल संचालित था, लेकिन धीरे धीरे बच्चे पास आउट होकर चले गए और कुछ बच्चों ने पड़ोसी गांव के स्कूल ढोंढाडीह में दाखिला ले लिया. इस वजह से स्कूल बंद हो गया. तब से वह स्कूल में रहने लगे हैं.

स्कूल जब तक चालू था, तब तक बच्चों के लिए खुला रहा, लेकिन जब बच्चों की संख्या कम हो गई और स्कूल बंद हो गया तो इसे रहने के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया : धनेश्वर यादव, कब्जाधारी

जब इस मामले की जानकारी स्थानीय प्रशासन को मिली तो शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया. विकासखंड शिक्षा अधिकारी विनोद पैंकरा ने कहा है कि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. संकुल समन्वयक से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

इस पूरे मामले ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है. सवाल यह है कि क्या यह स्कूल फिर से अपने असली उद्देश्य शिक्षा देने के लिए इस्तेमाल होगा या फिर यह इमारत हमेशा के लिए मवेशियों की आरामगाह बनकर रह जाएगी. अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन कितनी तेजी से कदम उठाता है और क्या यहां दोबारा पढ़ाई शुरू हो सकेगी.

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