December 23, 2024

कहानी मीठे-रसीले तरबूज की…महानदी के तट पर उगते हैं, कोलकाता तक बिकते हैं

Untitled

महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद में रेत से तेल निकालने वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. कहावत का अर्थ है असंभव को संभव करना. जिले के कुछ किसानों ने मेहनत कर रेत से तरबूज का फल निकाल दिया है. महानदी पुल इन दिनों यहां से गुजरने वालों के लिए कौतूहल का स्थल बना हुआ है. दोपहिया, चारपहिया से गुजरते हुए यहां हर कोई अनायास ही रुकता है. नदी की रेत की ओर नजरें फेरता है और हरियाली देखकर आनंदित हो जाता है.

महासमुंद का सौभाग्य है कि यह महानदी के तट पर बसा है. यहां के किसान खेत पर हल जोतकर अन्न तो उगाते ही हैं, नदी के रेत में मेड़ बनाकर फल भी उगाते हैं. नदी बाड़ी खेती में इन दिनों महासमुंद के घोड़ारी, बरबसपुर और रायपुर जिले के आरंग क्षेत्र के पारागांव, राटाकाट, निसदा, गोइंदा साथ ही नदी से सटे दोनों छोर के गांव के करीब 200 किसान परिवार नदी पर दिन-रात गुजार रहे हैं. यहां वे रेत का मेड़ बनाकर ग्रीष्मकालीन रसीले फल तरबूज की खेती कर रहे हैं. महानदी का तरबूज सिर्फ महासमुंद तक ही सीमित नहीं, बल्कि अन्य प्रदेशों में भी भेजा जाता है.

ओडिशा, कोलकाता तक डिमांड
रायपुर और महासमुंद की सीमा पर स्थित महानदी की इस रेत में आगामी चार माह तक आसपास के सैकड़ों गांव के किसान प्रतिवर्ष नदी बाड़ी की खेती करते हैं. नवंबर-दिसंबर से रेत पर फसल लगाने का काम शुरू हो जाता है. महानदी में लगने वाले तरबूज की फसल जिले के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों तक पहुंचती है. साथ ही कोलकाता व ओडिशा भी यहां के तरबूज जाते हैं. महानदी के तटों पर उगे तरबूज अपने अनोखे स्वाद के लिए देश भर में पहचाना जाता है. इसलिए यहां के तरबूज की बहुत ज्यादा डिमांड रहती है. साथ ही किसान इस तरबूज के भरोसे अपनी समृद्धि की कहानी लिख रहे है.

error: Content is protected !!
Exit mobile version