‘शालेय शिक्षक संघ ने जतायी उम्मीद, शिक्षकों को निराश नहीं करेगी विष्णुदेव सरकार’ कैबिनेट से पहले बतायी मांगें
रायपुर । शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे के नेतृत्व मे संगठन का प्रदेश प्रतिनिधिमंडल जिनमें प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा, प्रदेश कार्यकारिणी अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने छ्ग शासन को प्रदेश के शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और शिक्षामंत्री बृजमोहन अग्रवाल तथा वित्तमंत्री ओ पी चौधरी के समक्ष रखते हुए इन मांगो को यथाशीघ्र पूर्ण करने का आग्रह किया है।
प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने जिन समस्याओ को शासन के समक्ष रखा वे निम्नांकित हैं –
उच्चतर वेतनमान:- शिक्षक एल बी संवर्ग के लिए उच्चतर वेतनमान – क्रमोन्नत/समयमान की पात्रता के लिए कुल सेवा अवधि की गणना संविलियन दिनांक से की जा रही है अतः 1994-95 से लगातार अपनी सेवाएं दे रहे कर्मचारी अभी भी उच्चतर वेतनमान से वंचित हैं,जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।पंचायत/नगरीय निकाय में प्रथम नियुक्ति तिथि से कुल सेवा अवधि की गणना का प्रावधान कर शिक्षक एल बी संवर्ग को उच्चतर वेतनमान का लाभ सुनिश्चित करने की कृपा करेंगे।
पूर्ण पेंशन :- राज्य में लागू पुरानी पेंशन योजना की पात्रता तथा पूर्ण पेंशन के लिए शिक्षक एल बी संवर्ग की कुल सेवा अवधि की गणना संविलियन दिनांक से की जा रही है। अतः 1994-95 से लगातार अपनी सेवाएं दे रहे कर्मचारी भी पेंशन की पात्रता व पूर्ण पेंशन से वंचित हैं,जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।पंचायत/नगरीय निकाय में प्रथम नियुक्ति तिथि से कुल सेवा अवधि की गणना का प्रावधान कर शिक्षक एल बी संवर्ग को पुरानी पेंशन की पात्रता व पूर्ण पेंशन का लाभ सुनिश्चित करने की कृपा करेंगे।
वेतन विसंगति का निराकरण:- स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकीय पदों – सहायक शिक्षक, शिक्षक, व्याख्याता को केंद्रीय वेतनमान के अनुरूप क्रमशः लेवल-8, लेवल-9 व लेवल-10 के स्थान पर क्रमशः लेवल-6, लेवल -8 व लेवल-9 के अनुरूप वेतनमान दिया गया है, जिसके कारण व्याप्त वेतन विसंगति से कर्मचारियों को आर्थिक व मानसिक क्षति हो रही है।
कृपया समस्त शिक्षकीय पदों पर केन्द्रीय वेतनमान का प्रावधान कर वेतन विसंगति का निराकरण करने का कष्ट करेंगे।
पदोन्नति संबंधी :- स्कूल शिक्षा विभाग में अपर संचालक, संयुक्त संचालक, उप संचालक, प्राचार्य, व्याख्याता व शिक्षकों के पदोन्नति के हजारों पद रिक्त होने के बावजूद भी इन पदों पर वर्षों से पदोन्नति नहीं हुई है जिसके कारण विभाग की कार्यकुशलता नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रही है तथा योग्य अधिकारी कर्मचारी अवसर से वंचित हो रहे हैं और विभाग में प्रभारवाद हावी है। पदोन्नति के नियमों की विसंगतियों व विभागीय त्रुटियों के कारण न्यायालयीन हस्तक्षेप होते हैं तथा विभागीय अकर्मण्यता व लालफीताशाही के वर्षों से अनेक न्यायालयीन प्रकरण लंबित हैं।भर्ती पदोन्नति नियमों में अविलंब आवश्यक सुधार कर विसंगतियों को दूर किया जावे, शैक्षणिक पदों पर कला संकाय व कला विषय के पदोन्नति के पदों का अनुपात फीडिंग कैडर के अनुरूप बढ़ाया जावे, पदोन्नति के नियमों व प्रक्रिया का सरलीकरण करके प्रतिवर्ष समय सारणी बनाकर पदोन्नति के समस्त पदों पर पदस्थापना सुनिश्चित किया जावे।
कैडर व्यवस्था की समीक्षा व सुधार :– 2018 में संविलियन के बाद 2019 में जारी भर्ती पदोन्नति नियम को 05 वर्ष हो गए हैं। वर्तमान में सभी कैडर व सभी पदों की संख्या व अनुपात में परिवर्तन आ चुका है अतः इसकी अविलंब समीक्षा करके विभिन्न पदों व कैडर में कार्यरत कर्मचारियों के अनुपात में पदोन्नति के पदों का विभाजन किया जावे, क्योंकि एल बी संवर्ग की संख्या अधिक होने के बावजूद उनके लिए पदोन्नति के पद अत्यंत कम दिए गए हैं।
आत्मानंद योजना की समीक्षा :- राज्य में संचालित आत्मानंद विद्यालय योजना की पूरी समीक्षा की जावे । आवश्यकता अनुसार सीमित संख्या में उचित स्थानों पर ही ऐसे विद्यालय सुनियोजित ढंग से विभाग के अधीन ही चलाए जावें।इनमें कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति तथा संविदा व्यवस्था को समाप्त किया जावे।
प्राचार्य पद पर सीधी भर्ती:– प्राचार्य के लगभग 3500 रिक्त पदों में से सीधी भर्ती के लगभग 500 पदों पर विगत 28 वर्षों से भर्ती नहीं की गई है,जिससे न केवल पात्र कर्मचारियों के हित प्रभावित हो रहे हैं बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था व उच्च पदों की कुशलता भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रही है।
कृपया प्राचार्य सीधी भर्ती के लगभग 500 पदों पर लोक सेवा आयोग के माध्यम से भर्ती की प्रक्रिया अविलंब प्रारंभ कर भर्ती प्रक्रिया को पूर्ण करावें।
पृथक स्थानांतरण नीति:- स्कूल शिक्षा विभाग के लिए पृथक व स्वतंत्र स्थानांतरण नीति बनाकर केवल ग्रीष्मकालीन अवकाश में प्रतिवर्ष स्थानांतरण का प्रावधान किया जावे। समुचित क्रियान्वयन के लिए आनलाईन सिस्टम बनाकर अधिकतम लोगों को समुचित अवसर प्रदान किया जावे तथा विभाग की कागजी कार्यवाही को कम रखते हुए कार्यकुशलता व पारदर्शिता कायम रखी जावे।
सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि:- उच्च शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा व तकनीकी शिक्षा विभाग की तरह स्कूल शिक्षा विभाग में भी सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष किया जावे।
मंहगाई भत्ता:- केंद्र के बराबर देय तिथि से मंहगाई भत्ता प्रदान करने का संकल्प “मोदी की गारंटी” घोषणा पत्र मे किया गया है, अतः संकल्पपूर्ति करते हुए अविलम्ब केंद्र के बराबर देय तिथि से प्रदेश कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता प्रदाय किया जावे।
अनावश्यक प्रयोगों पर रोक:- शैक्षणिक संस्थाओं में वर्षभर नवाचार और प्रशिक्षण आदि की आड़ में अनेक अनावश्यक गतिविधियां भी करवाई जाती हैं जिससे अध्ययन अध्यापन की गति व निरंतरता भी नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। कृपया ऐसी गतिविधियों पर विराम लगावें।
संकुल केंद्रों को आहरण संवितरण व अन्य अधिकार:- वर्तमान में हाईस्कूल व हायर सेकेण्डरी स्कूलों को संकुल केंद्र बनाकर प्राचार्य अथवा व्याख्याता को संकुल प्रभारी बनाया गया है, उन्हें संकुल अंतर्गत कार्यरत समस्त कर्मचारियों का आहरण संवितरण अधिकारी बनाया जावे तथा तदनुरूप दायित्व दिए जावें ताकि विकासखण्ड स्तर पर कर्मचारियों की निर्भरता को कम किया जा सके तथा प्रकरणों का त्वरित निराकरण किया जा सके।
पदनाम के साथ एल बी प्रत्यय के अनुचित प्रयोग पर रोक:- एल बी संवर्ग के कर्मचारियों के पदनाम के साथ अनावश्यक और अनुचित किंतु अनिवार्य रुप से एल बी प्रत्यय जोड़कर चिन्हांकित किया जाता है। कृपया इस प्रवृत्ति पर रोक लगावें तथा केवल राजपत्र के अनुरूप ही पदनामों के प्रयोग के लिए आदेश प्रसारित करें।
कार्य निष्पादन प्रपत्र का सरलीकरण व संधारण की उचित व्यवस्था:- प्रत्येक वर्ष कार्मिकों का कार्य निष्पादन प्रपत्र भराया जाता है, जो अत्यंत जटिल और कई अवांछनीय जानकारियो का बिंदु रहता है, जिसे सरलीकृत कर, आवश्यक बिन्दुओ को ही शामिल किया जाना चाहिए तथा इसके संधारण की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि बार- बार यह प्रपत्र मंगाने की जरूरत न पड़े।
प्रभारवाद की समाप्ति :- संचालनालय, संभागीय , जिला, व विकासखण्ड के विभिन्न पदों के साथ ही स्कूलों मे ज्यादातर प्राचार्य और प्रधानपाठक के पद रिक्त हैं जो केवल प्रभारियों के भरोसे संचालित हो रहे हैं, अतः उपरोक्त पदो पर शीघ्र पदोन्नति देकर प्रभारवाद से स्कूलों को मुक्त किया जावे।
सेटअप में सुधार:- स्कूलों का वर्तमान सेटअप पुराने आंकड़ो पर आधारित है जो कि अब अव्यवहारिक हो चुके हैं, कही दर्ज संख्या बढ़ गई है कही पर घट गई है,राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप प्रदेश के स्कूलों का सेट अप अद्यतन कराया जावे व आवश्यकतानुसार पद सृजित कर व तदनुरूप सुविधाएं प्रदान किया जावे।
परामर्शदात्री समितियों का गठन एवं नियमित बैठक :- राज्य के सर्वाधिक कर्मचारियों वाले स्कूल शिक्षा विभाग में कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है जिसके कारण कर्मचारियों की समस्याएं व असंतोष लगातार बढ़ रही है।
कृपया राज्य, संभाग, जिला व विकासखण्ड स्तर पर सक्षम अधिकारियों व कर्मचारी संगठनों की परामर्शदात्री समितियों का गठन व उनकी नियमित बैठकों का प्रावधान करते हुए उनके माध्यम से समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करने का कष्ट करेंगे।
शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय पदाधिकारी सुनील सिंह,विष्णु शर्मा,डॉ सांत्वना ठाकुर,सत्येंद्र सिंह,विवेक शर्मा,गजराज सिंह,राजेश शर्मा,शैलेन्द्र सिंह,प्रह्लाद जैन,सन्तोष मिश्रा,सन्तोष शुक्ला,शिवेंद्र चंद्रवंशी,दीपक वेंताल,यादवेंद्र दुबे,सर्वजीत पाठक, उपेन्द्र सिह,मंटू खैरवार,पवन दुबे,भोजराम पटेल,विनय सिंह,आशुतोष सिंह,भानु डहरिया,रवि मिश्रा,जितेंद्र गजेंद्र,अजय वर्मा,कृष्णराज पांडेय,घनश्याम पटेल,बुध्दहेश्वर शर्मा,प्रदीप पांडेय,कैलाश रामटेके,देवव्रत शर्मा,अब्दुल आसिफ खान,अमित सिन्हा,विक्रम राजपूत, द्वारिका भारद्वाज, सुशील शर्मा, दिनेश पाण्डेय, राजेश यादव, विजय बेलचंदन, अशोक देशमुख,तिलक सेन आदि पदाधिकारियो ने सरकार से उपरोक्त मांगो पर जल्द से जल्द निर्णय लेने की मांग की है।