प्लाज्मा थैरेपी से यूपी के जिस डॉक्टर का इलाज हुआ था, उसकी हार्ट अटैक से हुई मौत
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के 58 वर्षीय चिकित्सक का शनिवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह ऐसे पहले मरीज थे, जिन्हें कोरोना के इलाज के लिए राज्य में प्लाज्मा थैरेपी दी गई थी। इलाज के बाद उनकी सेहत में बहुत तेजी से और अच्छा सुधार हुआ था। लखनऊ के एक अस्पताल ने एक बयान में कहा कि उनकी हालत में काफी सुधार हुआ था। शनिवार को वायरस के लिए किया गया उनका टेस्ट नकारात्मक आया था।
58 वर्षीय उरई निवासी डॉक्टर को केजीएमयू (किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) कोरोना वायरस वार्ड में भर्ती कराया गया था। प्लाज्मा थैरेपी दिए जाने के बाद उनके फेफड़ों की स्थिति में बहुत सुधार हुआ था। दुर्भाग्य से, उन्होंने यूरीनेरी ट्रैक्ट इंफैक्शन (मूत्र पथ के संक्रमण) हो गया था। इसके लिए उनका इलाज किया गया और डायलिसिस में उन्हें डाल दिया गया था। उनके दो नमूनों का कोरोना वायरस के लिए किया गया परीक्षण नकारात्मक मिला था।
उसकी पत्नी के दोनों नमूनों का भी टेस्ट निगेटिव मिला था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। केजीएमयू के कुलपति एमएलबी भट्ट ने कहा कि डॉक्टर पिछले 14 दिनों से वेंटिलेटर पर थे। उन्होंने कहा कि चूंकि डॉक्टर को उच्च रक्तचाप और मधुमेह था, इसलिए वे आइसोलेशन वार्ड में डॉक्टरों के निरंतर निरीक्षण में थे। हालांकि, उन्हें शाम 5 बजे दिल का दौरा पड़ा और तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
बताते चलें कि प्लाज्मा थेरेपी COVID-19 रोगियों के लिए उपचार की एक प्रायोगिक रेखा है। प्रक्रिया के तहत, खून में पाए जाने वाले प्लाज्मा को बीमारी से उबरे एक रोगी से लेकर बीमार रोगियों को चढ़ाया जाता है। इससे बीमारी से लड़ चुके और ठीक हो चुके मरीज के रक्त में विकसित एंटीबॉडी उन अस्वस्थ लोगों के शरीर के अंदर वायरस से लड़ने में मदद करते हैं।