रायपुर। छत्तीसगढ़ और देश के अन्य राज्यों से कमाने-खाने के लिए अन्य प्रदेशों में गए मजदूरों को बेहद परेशानियों से गुजरना पड़ा है.  सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर या किसी अन्य साधन से भूखे-प्यासे अपने गांव-घर लौटना पड़ा. मजदूरों और किसानों के अपनी मिट्टी से जुड़ाव को दर्शाता सुप्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गीत छईहां-भुईयां ल छोड़ जवैया तैं ह जाबे कहां रे’ जिसे प्रदेश के 50 युवाओं ने एक साथ गाया है और माटीपुत्रों को समर्पित किया है। 


 इसका संयोजन उभरते संगीतकार सत्यम जैसवानी, सुमित तिवारी और उज्ज्वल ठाकुर ,शब्बीर खान ने किया है. सत्यम ने बताया कि इस गीत को 15 दिनों की मेहनत के बाद तैयार किया गया है. सभी युवाओं से समन्वय बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. YouTube// US Melody Studio पर इसे जारी किया गया है. जिसमें प्रदेश के तकरीबन हर जिले के अलावा लखनऊ उत्तरप्रदेश के युवा गायक ने भी अपनी आवाज दी है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सभी युवाओं ने अपने घर से ही इसकी वीडियो रिकार्ड की, जिसे ऑनलाइन संयोजित किया गया। 

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पिछले माह इनमें से 31 युवाओं ने ‘तेरे जैसा यार कहां’ और ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे गीत ऑनलाइन रिकार्ड किया था. छत्तीसगढ़ में यह अनूठा प्रयोग और संभवत: पहला रिकार्ड है, जिसमें इतने युवा गायकों ने एक साथ स्वर दिया है.

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