विकास दुबे एनकाउंटर केस : सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में बनी समिति
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने विकास दुबे एनकाउंटर मामले में तीन सदस्यीय जांच समिति के गठन को मंजूरी देदी है. उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी एस चौहान इसकी अध्यक्षता करेंगे. न्यायालय ने समिति से दो माह के भीतर राज्य सरकार और उच्चतम न्यायालय को रिपोर्ट देने को कहा है. इस मामले में न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकारते हुए कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे की ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
बता दें कि कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कमेटी बनाई थी. सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार कमेटी में शीर्ष अदालत के रिटायर्ड न्यायाधीश और एक पुलिस अधिकारी को शामिल करने पर विचार करे.
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि एक अपराधी के खिलाफ इतने मामले दर्ज होने के बावजूद उसे जमानत मिलने से वह ‘स्तब्ध’ है. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
क्या है पूरा मामला-
वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस के मुताबिक दुबे की 10 जुलाई की सुबह हुई मुठभेड़ में मौत हो गई थी. पुलिस के मुताबिक विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर ले जा रहा पुलिस वाहन भौती इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उसने मौके से भागने की कोशिश की थी. पुलिसकर्मियों पर विकास ने फायरिंग भी की थी.
इस घटना के संबंध में कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया था कि विकास दुबे ने भागने की कोशिश के दौरान गोलियां चलाईं थी, जिसमें चार पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए. पुलिस का कहना था कि मुठभेड़ में घायल दुबे को तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. इस मुठभेड़ से पहले यूपी पुलिस ने विकास दुबे के पांच सहयोगियों को भी मुठभेड़ में मार गिराया था.
इससे पहले बीते दो-तीन जुलाई को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में विकास दुबे को गिरफ्तार करने गयी पुलिस की टुकड़ी पर तीन जुलाई को घात लगाकर हुए हमले में पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मियों की जान गयी थी. पुलिस टुकड़ी पर तीन जुलाई को आधी रात के बाद दुबे के मकान की छत से गोलियां बरसाई गयीं थीं.