बॉर्नविटा में है आखिर कौन सी गड़बड़?, सरकार को लेना पड़ा ये बड़ा फैसला
नईदिल्ली । गांव से लेकर शहर तक बॉर्नविटा और हॉर्लिक्स को लेकर माओं में एक अलग क्रेज है. वह चाहती हैं कि उनका बच्चा जब तक बड़ा ना हो इसका सेवन करे. इससे कंपनियों को काफी फायदा भी होता है. अब बॉर्नविटा को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. इससे अब इसे हेल्थ के लिहाज से बेहतर प्रोडक्ट नहीं माना जा सकेगा.
क्या है आदेश?
बॉर्नविटा सहित कुछ दूसरे प्रोडक्ट्स को कॉमर्स और इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने सभी ई-कॉमर्स वेबसाइटों को अपने प्लेटफार्मों पर ड्रिंक और बेवरेज को हेल्थ ड्रिंक की कैटेगरी से हटाने को कहा गया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPR) ने निष्कर्ष निकाला कि एफएसएस अधिनियम 2006, एफएसएसएआई और मोंडेलेज इंडिया द्वारा तय नियमों और रेगुलेशंस के तहत कोई हेल्थ ड्रिंक का परिभाषा तय नहीं किया गया है.
सरकार ने क्यों लिया ये फैसला?
NCPR बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 की धारा (3) के तहत गठित एक वैधानिक बॉडी ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 14 के तहत अपनी जांच के बाद यह तय किया कि एफएसएस अधिनियम के तहत कोई भी हेल्थ ड्रिंक डिफाइन नहीं की गई है. 2006, एफएसएसएआई और मोंडेलेज इंडिया फूड प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पेश नियम और रेगुलेटरी मिनिस्ट्री द्वारा जारी एक अधिसूचना में इसकी जानकारी दी गई है.
इस बात का रखना होगा ध्यान
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने इस महीने की शुरुआत में ई-कॉमर्स वेबसाइटों से डेयरी, अनाज या माल्ट-बेस्ड ड्रिंक पदार्थों को हेल्थ ड्रिंक या एनर्जी ड्रिंक की कैटेगरी के तहत नहीं डालने के लिए कहा था. सरकार की बॉडी ने तर्क दिया कि हेल्थ ड्रिंक शब्द को भारत के खाद्य कानूनों में परिभाषित नहीं किया गया है, जबकि ‘एनर्जी ड्रिंक’ कानूनों के तहत सिर्फ टेस्टफुल वाटर-बेस्ड ड्रिंक है. इसके अलावा एफएसएसएआई ने कहा कि गलत शब्दों का इस्तेमाल उपभोक्ता को गुमराह कर सकता है और इसलिए वेबसाइटों से विज्ञापनों को हटाने या सुधारने के लिए कहा गया है.