विश्व पर्यटन दिवस : देश के पर्यटन नक्शे में तेजी से उभर रहा है छत्तीसगढ़
असीम संभावनाओं के साथ पर्यटकों को लुभा रहा है छत्तीसगढ़ का नैसर्गिक सौंदर्य
एतिहासिक, पुरातात्विक, धार्मिक महत्व को समेटे हुए पर्यटकों की पहली पसंद बन रहा है छत्तीसगढ
रायपुर| पर्यटन की दृष्टि से छत्तीसगढ़ अत्यंत समृद्ध राज्य है। छत्तीसगढ़ की धरती वन और खनिज संपदा से भरपूर तो है ही इसके साथ ही यहां की कला, संस्कृति और पर्यटन स्थल भी आकर्षण के केन्द्र है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और छत्तीसगढ़ के पर्यटन मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू के मार्गनिर्देशन में छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल द्वारा प्रदेश में पर्यटन विकास एवं पर्यटकों की गतिविधियों के लिए राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि कोविड महामारी के दौर से उबरने के बाद छत्तीसगढ़ में पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2021 में भारतीय और विदेशी मिलाकर 1 करोड़ 15 लाख 32 हजार सैलानियों ने छत्तीसगढ़ का भ्रमण किया है।
छत्तीसगढ़ एक ऐसी पवित्र भूमि है, जहां वनवास काल में भगवान राम के चरण उत्तर में कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका से दक्षिण में सुकमा जिले के कोंटा तक पड़े। उत्तर से दक्षिण तक सात सौ किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला विविध प्रकार के प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहरों को समेटे हुए हैं। यहां की धरती वन, वन्यजीव, नदी, पर्वत-पहाड़ और झरनों जैसी प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। उत्तर के पाट क्षेत्र से दक्षिण की पहाडियों तक प्रकृति द्वारा उकेरे अनेक रमणीय प्राकृतिक स्थल और अनुपम सौंदर्य इस राज्य को प्रकृति का वरदान है।
भौगोलिक खूबसूरती और सांस्कृतिक विरासत को धारण किये इस छत्तीसगढ़ में पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं हैं, यहां के प्राचीन विरासत ,धार्मिक स्थल और प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को सुखद अनूभूति देते हैं। छत्तीसगढ़ में सिरपुर ,भोरमदेव जैसे कई ऐसे पुरातात्विक एवं धार्मिक महत्व के स्थल है जो वास्तुकौशल की कला का अनुपम उदाहरण है। यहां के वास्तु सौंदर्य अपनी अद्भुत रचनात्मकता के कारण घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं। छत्तीसगढ़ में अनगिनत ऐसे रमणीय प्राकृतिक स्थल विद्यमान हैं जो पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसके अलावा बीते कुछ समय में राज्य के दुर्गम ईलाकों में कुछ नये प्राकृतिक स्थलों की पहचान भी की गई है जिनके विकास के प्रयास किये जा रहे हैं।इन पर्यटन स्थलों में पर्यटन की दृष्टि से नई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। राज्य में पर्यटन की विकास की असीम संभावनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के दिशा निर्देश पर राज्य भर के प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थलों का विकास किया जा रहा है। यहां के पर्यटन क्षेत्रों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने बहुआयामी विकास की दिशा में कार्य किये जा रहे हैं। जनजातीय अंचल की प्राकृतिक एवं कला-संस्कृति कों विश्वपटल पर लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा से ग्रामीण पर्यटन का विकास किया जा रहा है। इन स्थलों में खान-पान एवं आवास की सुविधा युक्त होटल, मोटल ,रिसार्ट एवं रेस्टोरेंट की सुविधा विकसित की जा रही है।
भगवान राम का ननिहाल छत्तीसगढ़, राम नाम की महिमा यहां की संस्कृति में रची बसी हुई है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति में जब किसी से मिला जाता है तो राम नाम से संबोधन किया जाता है। यहां के कण-कण में राम का नाम बसा है। यहीं भगवान राम की माता ‘‘ माता कौशल्या‘‘ का पूरे विश्व का एकमात्र मंदिर स्थित है। राजधानी रायपुर के निकट चंदखुरी स्थान पर यह मंदिर स्थित है। इस स्थान की महिमा और जनमानस में बसी भगवान राम की आस्था को देखकर राज्य सरकार द्वारा चंदखुरी का विकास पौराणिक कथाओं में दर्शाए गए वातावरण के अनुसार किया जा रहा है। वनवास के दौरान भगवान का राम के चरण जिस-जिस स्थान पर पड़े उन राममय क्षेत्र का विकास ‘‘ राम वनगमन पर्यटन परिपथ विकास परियोजना‘‘ के माध्यम से किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा राम वनगमन पर्यटन परिपथ के 75 स्थलों को चिन्हित किया गया है। प्रथम चरण में 9 स्थलों सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (सरगुजा), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) में ‘राम वनगमन पर्यटन परिपथ‘ के रूप में नई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। पूरे परिसर का सैांदर्यीकरण भी किया जा रहा है। राम वन गमन पर्यटन परिपथ लम्बाई लगभग 2260 किलोमीटर है जिसका निर्माण, चौड़ीकरण एवं मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। यहां पर्यटकों के ठहरने, भोजन, पानी, पार्किंग आदि की व्यवस्था के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा कार्य किया जा रहा है। राज्य के डोंगरगढ़ पहाड़ी पर माता बम्लेश्वरी देवी विराजमान है। यह पहाड़ी राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ नगर में स्थित है। माँ बम्लेश्वरी की इस नगरी डोंगरगढ़ को भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने प्रसाद योजना में शामिल किया है। इस योजना के तहत् डोंगरगढ़ का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में व्यवस्थित विकास का काम हाथ में लिया गया है। यहां श्राद्धालुओं के लिए ‘‘श्रीयंत्र‘‘ के बनावट के अनुरूप पिलग्रिम एक्टिविटी सेंटर (श्रद्धालुओं के लिए सुविधा केन्द्र) का निर्माण किया जा रहा है।
स्वदेश दर्शन योजना के तहत् छत्तीसगढ़ के 13 स्थानों पर ‘ट्राइबल टूरिज्म सर्किट’ विकसित की जा रही है। इस परियोजना के तहत् जशपुर ,कुनकुरी ,मैनपाट, कमलेश्वरपुर, महेशपुर, कुरदर, सरोधादादर, गंगरेल, नथियानवागांव, कोण्डागांव, जगदलपुर, चित्रकोट और तीरथगढ़ को विकसित किया जा रहा है। इनमें से कुरदर हिल ईको रिसॉर्ट कुरदर (बिलासपुर), बैगा एथनिक रिसॉर्ट सरोधादादर (कबीरधाम), धनकुल एथनिक रिसॉर्ट (कोण्डागांव), सरना एथनिक रिसॉर्ट बालाछापर (जशपुर), कोईनार हाइवे ट्रीट कुनकुरी (जशपुर), हिल मैना हाईवे ट्रीट नथियानवागांव (कांकेर), सतरेंगा बोट क्लब एंड रिसॉर्ट सतरेंगा (कोरबा) और वे साइड अमेनिटी महेशपुर (सरगुजा) में पर्यटन सुविधाएं विकसित की गई हैं। पर्यटकों की सुविधा के लिए उच्च स्तरीय पर्यटन सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। राज्य के प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थानों पर एथनिक रिसॉर्ट, कॉटेज,वॉटर स्पोर्ट्स जैसी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। यहां राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य प्राणी अभ्यारण्यों के साथ-साथ गौरवशाली लोक संस्कृति का अद्वितीय उदाहरण भी है। बस्तर क्षेत्र में कुटुमसर गुफा एवं कांगेर घाटी, राष्ट्रीय उद्यान, चित्रकोट जलप्रपात महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है जो अपनी अद्भुत छटा के कारण पर्यटकों का दिल जीत रहे हैं। छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों के बारे में पर्यटकों को सुलभ जानकारी उपलब्घ कराने तथा पर्यटन स्थलों के भ्रमण के लिए व्यक्तिगत एवं टूर पैकेज के अन्तर्गत आरक्षण की सुविधा प्रदान करने के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल द्वारा नई दिल्ली, गुजरात मध्य प्रदेश के अतिरिक्त प्रदेश में 11 स्थानों पर पर्यटन सूचना केन्द्र स्थापित किया गया है।