आतंकियों से लड़ते हुए अफसर की बचाई थी जान, आर्मी डॉग ‘केंट’ को मरणोपरांत वीरता पुरस्कार
नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस पर, जांबाज आर्मी डॉग केंट को मरणोपरांत वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। केंट एक छह साल की लेब्राडोर थी जिसने पिछले साल सितंबर में जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने अफसर की जान बचाते हुए जान दे दी थी। केंट, जिसे सेना में 08B2 नंबर से जाना जाता था। उसने आतंकवाद विरोधी 9 अभियानों में हिस्सा लिया था। ‘ऑपरेशन सुजलीगला’ के दौरान, उसने नरला गांव में छिपे आतंकियों के खिलाफ जवानों की एक टुकड़ी का नेतृत्व किया था।
आतंकियों से अपने अधिकारी को बचाते हुए गंवाई थी जान
उस समय उत्तरी कमान के प्रमुख, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि हमारी केंट ने अपने अधिकारी को बचाने के लिए अपनी जान दे दी। उसने खुद आगे बढ़कर आतंकवादियों पर हमला किया। केंट को सेना ने पूरे सैन्य सम्मान के साथ विदाई दी थी। बुधवार को, 103 वीरता पदकों की लिस्ट के बाद, 39 ‘मेन्शन-इन-डिस्पैच (MiD) में इस बहादुर जांबाज का नाम शामिल किया गया। ‘MiD’ उनको दिया जाता है जिन्होंने ऑपरेशनल एरिया में विशिष्ट और सराहनीय सर्विस दी हो और वीरता के ऐसे कार्य किए हों जो गैलेंट्री मेडल देने के लिए पर्याप्त न हों।
स्वतंत्रता दिवस पर आर्मी डॉग ‘केंट’ को वीरता पुरस्कार
आर्मी डॉग केंट को ‘MiD’ और ‘चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन कार्ड’ से सम्मानित करने की परंपरा रही है। 2022 में, दो वर्षीय बेल्जियम मैलिनोइस एक्सल को जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में एक आतंकवादी का पता लगाने के लिए मरणोपरांत ‘MiD’ से सम्मानित किया गया था। इससे पहले 2020 में, सोफी नाम के एक सुनहरे-भूरे रंग की कॉकर स्पैनियल और विडा नाम के एक काले लैब्राडोर को भी देश की रक्षा में लगन से अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए ‘CoAS कमेंडेशन कार्ड’ से सम्मानित किया गया था। इन्होंने बारूदी सुरंगों, हथगोले और ऐसी अन्य चीजों को सूंघकर पता लगाया था।
2016 में पहली बार आर्मी डॉग मानसी को मिला था सम्मान
चार साल की एक लैब्राडोर मानसी संभवतः पहली आर्मी डॉग थी जिसे 2016 में मरणोपरांत ‘MiD’ से सम्मानित किया गया था। उसने और उसके हैंडलर ने उत्तरी कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश को विफल करते हुए अपनी जान दे दी थी। एक अधिकारी ने कहा कि काउंटर टेरर अभियानों के दौरान ये डॉग हमारी ताकत को कई गुना बढ़ा देते हैं। केंट ने अपनी वीरता और बलिदान से यह साबित कर दिया।