दुर्ग । छत्तीसगढ़ के जिस कलाकार के बारे में सीजीबोर्ड की किताबों में पढ़ाया जाता है, वही कलाकार आज अपने इलाज के लिए लोगों के सामने हाथ फैलाने को मजबूर है। घुरा और जुट शिल्प में महारत हासिल करने वाली और मिनीमाता सम्मान से सम्मानित कलाकार रुक्मणी चतुर्वेदी को अपने इलाज के लिए अपनी मां तक के गहने गिरवी रखने पड़े।

भिलाई के शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज में जब इलाज के पैसे खत्म हो गए तो उनकी हाल देख वहां के डॉक्टर राहुल गुलाटी ने उनकी मदद की। बता दें कि घुरा शिल्प के जरिए फ्रांस, तुर्की, मलेशिया, दुबई, लंदन किर्कीस्तान जैसे कई देशों में अपनी कला का जलवा बिखेर चुकी।

इस कलाकार की हालत खबरों की सुर्खियों में जब आई तो संस्कृति मंत्रालय से देर शाम उनके घऱ एक क्लर्क पहुंचे और विभाग की ओर से 25 हजार रुपए उनके खाते में भेजने की बात कही, लेकिन रूकमणि के सामने अब भी बड़ा सवाल यह खड़ा है कि रोजाना लगने वाले महंगे इंसूलीन को खरीदने का जुगाड़ वे कहां से करें।

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