December 24, 2024

छत्तीसगढ़: किसान विरोधी नीतियों को लेकर 10 जून को राज्यव्यापी आंदोलन

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रायपुर। पांच मांगों को लेकर 10 जून को छत्तीसगढ़ में राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।  राज्य और केंद्र सरकार की कृषि और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन का ऐलान किया गया है।  छत्तीसगढ़ में किसान आंदोलन से जुड़े 26 संगठनों ने केंद्र और राज्य सरकार की कृषि और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ पांच प्रमुख मांगों को केंद्र में रखकर 10 जून को राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन का आह्वान किया है। 


छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते ने कहा कि गांव-गांव में ये प्रदर्शन सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड-19 के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर आयोजित किए जाएंगे. इन संगठनों में छत्तीसगढ़ किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा, किसान प्रतिष्ठा मंच, भारत जन आंदोलन, छग प्रगतिशील किसान संगठन, राजनांदगांव जिला किसान संघ, क्रांतिकारी किसान सभा, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, छमुमो मजदूर कार्यकर्ता समिति, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति, छग आदिवासी कल्याण संस्थान, छग किसान-मजदूर महासंघ, किसान संघर्ष समिति कुरूद, दलित-आदिवासी मंच, छग किसान महासभा, छग आदिवासी महासभा, छग प्रदेश किसान सभा, किसान जन जागरण मंच, किसान-मजदूर संघर्ष समिति, किसान संघ कांकेर, जनजाति अधिकार मंच, आंचलिक किसान संगठन, जन मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय किसान मोर्चा, किसान महापंचायत और छत्तीसगढ़ कृषक खंड आदि संगठन शामिल हैं। 

1. राज्य सरकार से कोरोना संकट के मद्देनजर पंजीयन की बाध्यता के बिना सभी मक्का उत्पादक किसानों के मक्का की समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद की जाए.

2. केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों के लिए घोषित समर्थन मूल्य को नकारते हुए स्वामीनाथन आयोग के सी-2 फार्मूले के अनुसार फसल की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने और धान का समर्थन मूल्य 3465 रुपये घोषित किया जाए.

3. केंद्र सरकार की मंडी कानून और आवश्यक वस्तु अधिनियम को अध्यादेश के जरिए बदलने और ठेका कृषि को कानूनी दर्जा देने के मंत्रिमंडल के फैसले को निरस्त करें.

4. छत्तीसगढ़ के प्रवासी मजदूरों को उनके गांव-घर तक मुफ्त पहुंचाने, उनके भरण-पोषण के लिए मुफ्त खाद्यान्न, मनरेगा में रोजगार और नकद आर्थिक सहायता दी जाए.5. बिजली क्षेत्र के निजीकरण करने के फैसले पर रोक लगाने और बिजली कानून में कॉर्पोरेट मुनाफे को सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे प्रस्तावित जन विरोधी, किसान विरोधी संशोधनों को वापस लेने की मांग. 

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