निजी स्कूलों में बच्चों की फीस तय करेगी समिति, DEO ने तय की टाइम लिमिट
रायपुर। नए सत्र में निजी स्कूल कितनी फीस लेंगे? किस कक्षा में कितनी फीस ली जाएगी? इस महीने के अंत तक इसकी जानकारी स्कूल प्रबंधन को शिक्षा विभाग के अफसरों को देनी होगी। फीस तय करने का जिम्मा भी स्कूल की फीस समिति को सौंपा गया है।
समिति के माध्यम से फीस तय किए जाने से स्कूल प्रबंधन मनमानी फीस नहीं ले सकेंगे। पिछले महीने जिला शिक्षा अधिकारी ने फीस समिति नहीं बनाए जाने के कारण दो सौ से अधिक स्कूलों की मान्यता ही रद्द कर दी थी। बुधवार को प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा ने प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों की बैठक लेकर उन्हें छग फीस विनियमन 2020 के प्रभावी होने की जानकारी दी। उन्होंने स्कूल प्रबंधकों से कहा कि वे जल्द से जल्द फीस की ऑनलाइन जानकारी पोर्टल में अपलोड करें।
इससे बाद में फीस काे लेकर किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। निजी स्कूलों की फीस को लेकर प्राय: हर साल शिक्षा सत्र के शुरुआत में विवाद होता है। कई बार स्कूल प्रबंधन और पैरेंट्स का विवाद शिक्षा विभाग तक पहुंच गया है। इसी को लेकर छग फीस विनियमन 2020 लागू किया गया है। अब प्राइवेट स्कूलों को इसी के तहत फीस समिति का गठन करना है। फीस समिति के माध्यम से ही कक्षावार फीस तय किया जाना है। स्कूल प्रबंधन ने फीस समिति का गठन तो कर लिया है लेकिन कई स्कूलों में फीस अब तक तय नहीं की गई है।
स्कूल भी दुविधा में हैं। उनकी शंकाओं को दूर करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी एएन.बंजारा निजी स्कूलों की बैठक में शामिल हुए। उन्होंने निजी स्कूल के संचालकों, प्राचार्यों को फीस विनियमन के क्रियान्वयन के बारे में जानकारी और उनकी शंकाओं को दूर किया। बैठक में रायपुर के करीब 600 से अधिक स्कूल के प्रबंधक शामिल हुए। वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा के अलावा छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता, मनीष डागा, मुकेश शाह, विजय चोपड़ा भी शामिल हुए।
फीस समिति को लेकर मच चुका है बवाल
शिक्षा विभाग के स्पष्ट निर्देश के बावजूद ज्यादातर स्कूल प्रबंधन ने फीस समिति का गठन नहीं किया था। कई बार नोटिस के बाद करीब डेढ़ माह पहले रायपुर जिले के 240 स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी थी। इतनी बड़ी संख्या में स्कूलों की मान्यता रद्द किए जाने से खासा बवाल मचा। स्कूल प्रबंधन ने तीन दिन के भीतर फीस समिति बनाकर उसकी सूची जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा की। उसके बाद तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर ने स्कूलों की मान्यता रद्द करने का फैसला निरस्त किया।