गिद्धों की संख्या में कमी से बढ़ी इंसानी मौत, जानें क्या है कनेक्शन
नई दिल्ली। एक नई स्टडी में पता चला है कि भारत में गिद्धों की संख्या में आई तेज गिरावट का संबंध इंसानों की मौतों में हुई बढ़ोतरी से है। 2000 से 2005 के आंकड़ों के आधार पर अमेरिकन इकोनॉमिक एसोसिएशन जर्नल में ये स्टडी सामने आई है। इसमें बताया गया है कि जिन जिलों में गिद्धों की संख्या घटी है, वहां इंसानों की मौत के मामलों में कम से कम 4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। स्टडी में इस बढ़ोतरी के पीछे आवारा कुत्तों और चूहों से रेबीज के बढ़ते मामलों को वजह बताया गया है, जो मरे हुए जानवरों को खाते हैं। इसके अलावा, वॉटर पॉल्यूशन और सतह पर बहने वाले दूषित पानी को भी इसकी वजह माना गया है।
तेजी से लुप्त हो रहे गिद्ध, क्यों है टेंशन की बात
दिल्ली का गाजीपुर लैंडफिल साइट उन चुनिंदा जगहों में से एक है, जहां अब भी गिद्ध देखे जा सकते हैं। 1990 के दशक तक भारत में अक्सर दिखने वाले ये पक्षी अब तेजी से विलुप्त होते जा रहे हैं। 5 करोड़ की आबादी वाला ये पक्षी अब देश में सबसे ज्यादा खतरे में हैं। गिद्धों की घटती संख्या गंभीर चिंता का विषय है और उनकी आबादी को फिर से बढ़ाने की कोशिशें की जा रही हैं। इस बीच, एक नई स्टडी से पहली बार खुलासा हुआ कि कैसे इस प्रजाति की संख्या में तेज गिरावट का संबंध इंसानों की मौतों में बढ़ोतरी से है।
गिद्धों का मानव मौत से क्या कनेक्शन
अमेरिकन इकोनॉमिक एसोसिएशन (AEA) जर्नल में छपी इस स्टडी के मुताबिक, 2000 से 2005 के बीच जिन जिलों में गिद्धों की संख्या घटी है, वहां इंसानों की मौत के मामलों में कम से कम 4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कुछ जानवर मरे हुए जानवरों को खाते हैं। लेकिन गिद्धों के लिए यही खाने का एकमात्र स्रोत होता है। इसलिए, गिद्धों को बहुत ही कुशल सफाईकर्मी माना जाता है। कुत्तों और चूहों जैसी प्रजातियों के विपरीत, गिद्ध मांस को पीछे नहीं छोड़ते हैं और उनसे बीमारियों के फैलने का खतरा कम होता है।
स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
अमेरिकन इकोनॉमिक एसोसिएशन की स्टडी में बताया गया है कि कैसे गिद्धों के न रहने पर सड़ता हुआ मांस और उसकी गंध आवारा कुत्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। कुत्ते और चूहे जब मांस को खाते हैं तो पूरी तरह से साफ नहीं करते, जिससे बीमारियों को फैलने का खतरा रहता है। ये जानवर कम कुशल सफाईकर्मी होते हैं, जिससे शवों के ढेर बीमारियों के अड्डे बन जाते हैं। चूहों और आवारा कुत्तों की आबादी में बढ़ोतरी से रेबीज के मामले बढ़ते हैं। एंथ्रेक्स जैसी बीमारियां दूसरे जानवरों और इंसानों में तेजी से फैलती हैं।
इसलिए बढ़ रही इंसानों की मौत
वहीं बात करें गिद्ध की तो वो हमेशा मांस को पूरा खत्म करते हैं। पीछे कुछ भी नहीं छोड़ते ऐसे में उनसे बीमारियों के फैलने का खतरा कम हो जाता है। स्टडी के मुताबिक, शवों को नदियों में फेंकने से इसका भी पानी प्रदूषित होता है। खास तौर पर सतह पर बहने वाला दूषित पानी भी बीमारियों को बढ़ाते हैं। अमेरिकन इकोनॉमिक एसोसिएशन की स्टडी के अनुसार, इन सभी कारणों से इंसानों की मौतों में बढ़ोतरी हुई है।