क्या आसमान में ग्रहों की ‘दिवाली’ और भूकंप से बनता है सोना?…धनतेरस-दीपावली पर यह वजह जान हैरान रह जाएंगे
नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि धरती पर सोना कैसे आया होगा? कितना सोना है। कितना हमने इस्तेमाल कर लिया है। सोना सुनहरा ही क्यों होता है? ये ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब शायद ही कुछ लोग जानते होंगे। इस आलेख में हम इन सवालों के जवाब और सोने से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानी भी जानेंगे।
आपको यकीन नहीं होगा, मगर एक अनुमान के अनुसार दुनिया में जितना भी सोना है, उसका 20वां हिस्सा निकाला जा चुका है। गोल्डडॉटओआरजी के अनुसार, दुनिया में अब तक 1,87,200 टन सोना खदानों से निकाला जा चुका है। दुनिया में सोने की सबसे बड़ी खदानें दक्षिण अफ्रीका में हैं। ऑस्ट्रेलिया और चीन में भी सोने की बड़ी खदानें हैं।
49 फीसदी सोने का इस्तेमाल सिर्फ आभूषण बनाने में
सोने को लेकर भारत समेत पूरी दुनिया में दीवानगी इस कदर है कि इसे लोग अपना स्टेटस सिंबल मानते हैं। दुनिया में जितना भी सोना निकाला जा चुका है, उसका तकरीबन आधा यानी 49 फीसदी का इस्तेमाल गहने बनाने में होता है। दुनिया में 1 टन का सबसे बड़ा सोने का सिक्का ऑस्ट्रेलिया में बनाया गया था। इसका डायमीटर 80 सेंटीमीटर है।
एक मजदूर ने खोजी थी दुनिया में पहली सोने की खदान
पहली बार सोने की खदानों के बारे में पता तब चला जब 1885 में एक ऑस्ट्रेलियाई मजदूर जॉर्ज हैरिसन ने दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में घर बनाने के लिए खुदाई शुरू की। उसी दौरान जॉर्ज को सोने की खदानों का पता चला। इससे पहले रोम के महान राजा जूलियस सीजर ने गॉल की लड़ाई में जीत हासिल करने पर अपने हर सैनिक को 200-200 सोने के सिक्के दिए थे।
डॉलर को मात देने के लिए चीन का सोने पर भरोसा
चीन समेत कई देश ऐसे हैं, जो बड़ी मात्रा में सोना खरीद रहे हैं और डॉलर पर अपनी निर्भरता घटा रहे हैं। दरअसल, सोना दशकों से भारत समेत दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को उबारने में मददगार रहा है। जब डॉलर का मूल्य गिरता है तो सोने के भाव आसमान चढ़ने लगते हैं। निवेशकों को सोने पर कुछ ज्यादा ही भरोसा इसीलिए होता है, क्योंकि डॉलर जब भी डूबने-उतराने लगता है तो सोना ही निवेशकों की नैया पार लगाता है।
समुद्रों में भरा पड़ा है 2 करोड़ टन सोना, धरती पर मामूली
गोल्ड डॉट ओआरजी नाम की एक वेबसाइट के अनुसार, दुनिया के सारे समुद्रों में 2 करोड़ टन सोना भरा पड़ा है। सबसे ज्यादा सोना मिलने की संभावना अटलांटिक और उत्तरी प्रशांत महासागरों में है। हालांकि, सोना धरती पर बहुत मामूली रूप में पाया जाता है। धरती के ऊपरी सतह के प्रति 100 करोड़ हिस्से में से महज 4 हिस्सा ही सोना है।
कैसे बना होगा पहला सोना, यहां जानिए जवाब
अगर भूकंप आते हैं तो सोने की बनने की संभावना बढ़ जाती है। धरती के क्रस्ट में छोटे-छोटे गड्ढे बन जाते हैं, जिसमें सोने और सिलिकेट मिनरल्स लिक्विड के रूप में भर जाते हैं। यही सोना बनाते हैं। सोना भले ही दुर्लभ धातु है, मगर यह सबसे महंगी धातु नहीं है। धरती पर सबसे महंगी धातु पैलेडियम और रोडियम हैं। सोने की कीमत मांग के अनुसार बढ़ती-घटती रहती है। करीब 20 करोड़ साल पहले जब धरती पर क्षुद्र गहों की बमबारी हो रही थी यानी वे धरती से टकराकर गिर रहे थे, तब सोने का जन्म हुआ। धरती के कोर और उसका आवरण यानी मैंटल में सोना पाया गया है। दक्षिण अफ्रीका के व्रेडफोर्ट क्रेटर से सोने के दूसरी दुनिया से आने के प्रमाण भी मिले।
सोने का सुनहरा रंग नेचुरल, यह गुण किसी और धातु में नहीं
दुनिया में इकलौता सोना ही हैं जो नेचुरल रूप से सुनहरा होता है। दूसरी धातुओं में यह कलर विकसित करना पड़ता है। अगर सोने में कोई मिलावट की जाती है तो इसका सुनहरा रंग करीब-करीब सफेद हो जाता है। bullionbypost पर छपी एक रिसर्च के अनुसार, सोना नोबेल मेटल है। इसका मतलब यह है कि यह कभी अपनी चमक नहीं खोता है और न ही इस पर जंग लगती है। जंग लगने का मतलब यह है कि हाइड्रेटेड मेटल ऑक्साइड हैं। यह तब होता है, जब कोई धातु ऑक्सीजन या पानी से क्रिया करता है। इस रिएक्शन को ऑक्सीडाइजिंग। सोने जैसी प्योर धातु ऑक्सीजन से रिएक्ट नहीं करती है। इसी वजह से इसे नोबेल मेटल कहा जाता है।
यूरोप में खाने के बाद सोने की पत्ती से ढकी कैंडी का चलन
कुछ मिथकों में यह कहा जाता है कि सबसे पहले एक बच्चे को एक नदी में चमकदार चट्टान मिली थी, जिससे मानव जाति का परिचय सोने से हुआ था। वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती पर सोना अंतरिक्ष से आया था। सोने को उसकी शुद्धता के लिए बहुत महत्व दिया जाता था और इसे अक्सर मुद्रा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता था। सोने में इलाज करने की शक्ति भी मानी गई है। 16वीं शताब्दी में यूरोप में भोजन के अंत में सोने की पत्ती से ढकी कैंडी खाने की प्रथा शुरू हुई।
हड़प्पा सभ्यता में सोने के इस्तेमाल का चलन
करीब 4500 साल पहले हड़प्पा सभ्यता में सोने के गहनों के इस्तेमाल के चलन देखने को मिलते है। उस समय दक्षिण भारत के मैसूर प्रदेश से यह धातु प्राप्त होती थी। चरकसंहिता में स्वर्ण और उसके भस्म का औषधि के रूप में जिक्र मिलता है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में स्वर्ण की खान की पहचान करने और उसकी खासियतों के बारे में लिखा है। इसके अतिरिक्त मिस्र की सभ्यता के इतिहास में भी स्वर्ण के विविध प्रकार के आभूषण बनाए जाने की बात कही गई है।