October 22, 2024

गुटखा से जितनी कमाई, दाग साफ करने में सरकार खर्च कर देती है उतना पैसा, क्‍यों नहीं लगता बैन?

नई दिल्‍ली। भारत में पान मसाला का बाजार तकरीबन 45,000 करोड़ रुपये का है। सरकार को इससे 25% से ज्‍यादा आमदनी नहीं होती। हिसाब लगाने पर यह रकम तकरीबन करीब 12,000 करोड़ रुपये बैठती है। यह रकम उतनी है जितनी रेलवे गुटखा के दाग साफ करने में खर्च कर देता है। कुल मिलाकर गुटखा पान-मसाला से होने वाली पूरी आदमनी निल बटे सन्‍नाटा ही है। अगर इसमें स्वास्थ्य पर होने वाले असर को शामिल कर लें तो इससे नुकसान के सिवा कुछ भी नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि गुटखा पर बैन क्यों नहीं लगता?

लेखक मनोज अरोड़ा ने इसे लेकर सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म ‘एक्‍स’ पर एक पोस्‍ट शेयर किया है। उन्‍होंने गुटखा से कमाई और इसके कारण होने वाले खर्च के आंकड़े रखते हुए यह सवाल उठाया है। उनके पोस्‍ट में पर लोगों के बड़ी संख्‍या में रिऐक्‍शन आ रहे हैं।

मनोज ने कहा, भारत में पान मसाला का मार्केट लगभग 45,000 करोड़ रुपये का है। सरकार को इससे 25% से ज्‍यादा आमदनी नहीं होती। यानी लगभग 12,000 करोड़ रुपये। गुटखा के दाग साफ करने में ये सारा पैसा बर्बाद हो जाता है। अगर स्वास्थ्य पर असर न भी देखें, तो गुटखा पर बैन क्यों नहीं लगना चाहिए?

कहां से आया है यह आंकड़ा?
दरअसल, साल 2021 में भारतीय रेलवे ने बताया था कि गुटखा के धब्बों को साफ करने के लिए हर साल वह 12000 करोड़ रुपये खर्च करता है। रेलवे ने इस समस्या से निपटने के लिए 42 स्टेशनों पर थूकने के लिए विशेष कियोस्क लगाने की योजना के बारे में बताया था। इन कियोस्क में 5 से 10 रुपये में थूकने के पाउच मिलेंगे, जिससे सफाई के खर्च में कटौती होगी।

काफी बड़ा है गुटखा मार्केट
गुटखा उद्योग का सटीक आकार बताना थोड़ा मुश्किल है। कारण है कि यह काफी कुछ अनौपचारिक सेक्‍टर है। साथ ही अक्सर इसके साथ अवैध गतिविधियां भी शामिल होती हैं। हालांकि, IMARC की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2023 तक इसका आकार करीब 44,973 करोड़ रुपये का था। वहीं, 2032 तक देश में गुटखा मार्केट का साइज करीब 62,067 करोड़ रुपये के हो जाने के आसार हैं।

गुटखा पर रोक क्यों नहीं लगती?
गुटखा पर रोक न लगने के पीछे कई कारण माने जाते हैं। इनमें राजस्‍व, रोजगार और राजनीतिक दबाव शामिल हैं। कई सरकारें गुटखा से होने वाले राजस्व पर निर्भर करती हैं। इसे छोड़ना उनके लिए राजस्व के नुकसान के समान होगा। गुटखा उद्योग में लाखों लोग लगे हुए हैं। प्रतिबंध से इन लोगों की रोजी-रोटी पर संकट आ सकता है। गुटखा उद्योग से जुड़े लोग राजनीतिक रूप से प्रभावशाली होते हैं। वे प्रतिबंध लगाने

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