March 28, 2024

एक आचार्य, एक विचार और एक सिद्धांत सभी साधुओं में होनी चाहिए : आचार्य महाश्रमण

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के जैनम मानस भवन स्थित आयोजित तेरापंथ धर्मसंघ के 157वें मर्यादा महोत्सव का आज समापन समारोह था. इस आयोजन में आचार्य भिक्षु और जयाचार्य द्वारा लिखित संदेशों का वाचन किया गया. आचार्य महाश्रमण ने अपने वाचन में कहा कि आज हमारे धर्म संघ का 265वां वर्ष चल रहा है. आचार्य भिक्षु ने धर्म संघ की मर्यादाओं का निर्माण किया था. साथ ही आचार्य जयाचार्य जी ने इस मर्यादा महोत्सव की शुरुआत की, जिसे हम आज तक लगातार मना कर रहे हैं. हमारा धर्मसंघ मूलतः एक अध्यात्मिक संघ है और हम एक अध्यात्मिक संघठन के सदस्य है. जहाँ आध्यात्मिकता है, वहां कल्याण की बात होती है. ये हमारे धर्म का मूल है.

संघ का अर्थ होता है आत्मकल्याण तो हमारे अंदर विशेष रूप से आत्मनिष्ठा होनी चाहिए. हमारे संघ में 3 प्रमुख बातें है. एक आचार्य, एक विचार और एक सिद्धांत सभी साधु साथियों में होनी चाहिए. हमारा धर्मसंघ बहुत ही अच्छा है. संघ की छोटी-छोटी बातों को सोचकर कभी भी संघ छोड़ने का विचार हमारे मन में नहीं आना चाहिए. साथ ही संघ के प्रति हमारी निष्ठा भी बनी रहनी चाहिए. हमारे संघ की अनेक मर्यादाएं है. हमारे साधु साथियों को उसी मर्यादाओं में रहना चाहिए. मुझे गौरव होता है कि हमारे साधु साथियों में गुरु निर्देश के प्रति निष्ठा है. हमारे धर्म संघ से जुड़ी हुई कई केंद्रीय और स्थानीय संस्थाए है, जो अपनी नैतिकता के प्रति जागरूक है. हमारी आस्था, निष्ठा और अहिंसा के प्रति रहनी चाहिए. बस हमें अपना काम अच्छे तरीके से करना चाहिए, बिना किसी से बैर रखें.

मर्यादा महोत्सव के आयोजक महेंद्र धाड़ीवाल ने कहा कि मर्यादा महोत्सव का आज समापन है. आचार्य भिक्षु और आचार्य जयाचार्य द्वारा का जो वाचन है. इस मर्यादा उत्सव में उसे दोबारा दोहराया जाता है. धर्म संघ की सभी प्रकार की जानकारी वापिस बताई जाती है. यह पूरे विश्व में एक अनूठे तरह का मोहत्सव है. जिसे और कहीं नहीं मनाया जाता, केवल यही मनाया जाता है. यहां लाखों श्रद्धालु आते है. यह सब आनंद का विषय है और गुरु का स्नेह और आंनद है कि सब भक्त आते है और अपनी भावनाएं व्यक्त कर दर्शन का लाभ लेते है.

कन्या मंडल की संयोजिका भावना ने कहा कि चार दिनों के कार्यक्रम का आज समापन है. ये एक ही ऐसा धर्म है, जहाँ एक ही गुरु के आज्ञा पर साधु साथी चलते है. इस धर्म में पूरी मर्यादा होती है. और यहां इसका वाचन किया जाता है.

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