सीएए, एनपीआर और एनआरसी की क्रोनोलाजी का पर्दाफाश, भाजपा सरकार के झूठ हुये बेनकाब : त्रिवेदी
०० नोटबंदी की ही तरह पूरे देश को नागरिकता के लिये कतार में खड़ा करना चाहती है मोदी सरकार
रायपुर। सीएए, एनपीआर और एनआरसी की क्रोनोलाजी का पर्दाफाश करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने मोदी सरकार की नीति और मंशा पर सवाल खड़ा किये। यह सही है कि अभी तक देश के केवल एक राज्य असम में एनआरसी हुआ है। लेकिन जहां एनआरसी हुआ उस असम में लाखों हिन्दु और मुसलमान सब भारत की नागरिकता से वंचित हुये।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार
विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में इन प्रावधानों
को लागू करने की मोदी सरकार की मंशा से सबसे ज्यादा आदिवासियों को और खासकर बस्तर
अबूझमाड़ के रहने वालों को परेशानी उठानी पड़ेगी। भूमिहीन मजूदर किसानों और समाज के
गरीब वर्गो के लोगों के साथ-साथ देवार जैसी घुमंतो जातियों के लोग सबसे ज्यादा
परेशान होंगे। यही मोदी सरकार की वास्तविक मंशा भी है।
गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 में
कहा गया कि, ’एनपीआर, एनआरसी
को लागू करने का पहला कदम है। एनपीआर के बिना एनसीआर नही हो सकता। अप्रैल 2019
में अमित शाह ने कहा था कि पहले सीएए
आएगा, उसके
बाद एनआरसी आएगा। 9 दिसंबर 2019
को लोकसभा में अमित शाह ने सीएए के पास
होने के बाद राष्ट्रव्यापी एनआरसी की बात की। ऐसे में सीएए-एनआरसी के ताल्लुक को
नकारना दूसरा झूठ है। 20
जून 2019
को संसद के संयुक्त अधिवेशन में
राष्ट्रपति के संबोधन में कहा गया है कि सरकार ने एनआरसी को प्राथमिक के आधार पर
लागू करने का फैसला किया है। मोदी जी कैसे कह सकते है कि सरकार में आने के बाद
एनआरसी पर कोई चर्चा नही हुयी? प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा कहती है कि एनआरसी की प्रक्रिया को न तो
अधिसूचित किया गया और न ये कानूनी है। यह पूरी तरह झूठ है, क्योंकि
यह भी झूठ है कि 2003 में
जब एनआरसी एडॉप्ट किया गया,
तो उसके अनुच्छेद 14A में
इसके कानूनी होने का उल्लेख है और उसमें देश के प्रत्येक नागरिक को पहचान पत्र की
बात है। “NRC process is not legalized, NRC has
not been notified.” में जब एनआरसी 2003 अडोप्ट
किया गया, 1955 सिटीजन
एक्ट के अंतर्गत, Clause 14 (a) says – “that talks of
maintaining a National Register of Indian Citizen. It is already in the law. In
2003 when Vajpayee Ji was in power they established a National Register
Authority under the RGI Act and that authority will draft frame rules and a
National Identify Card for each citizen of India will be given.
अगर कानून में ये प्रावधान पहले ही है
और वो नोटिफाइड है तो भाजपा कैसे कह सकती है कि 2003
एनआरसी की प्रक्रिया अधिसूचित नही की
गयी और यह कानून में नही है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार
विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि यह भी झूठ है कि एनआरसी अभी
शुरू होना है, जबकि
पहली अप्रैल से एनआरसी शुरू होने का नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। Clause 4 of the Rules of 2003 says –
“Population Register to be prepared by collecting information relating to all
persons who are usually residing within the jurisdiction of the local
Registrar.” This is part of Clause 4 of Rules of 2003 and Minister of State
Rijiju said on July 23 in Parliament – NRC based on collection of data under
the scheme of the National Population Register. House to house enumeration to
start from 1 April, 2020 and to end on 30 September, 2020, notified through a
gazette notification on July 31, 2019. Another lie, it is notified, gazette-
this process will start form April, 1.