बोधघाट परियोजना : कोई विकल्प है तो बताएं, विरोध करने वाले आदिवासी हितैषी नहीं – CM भूपेश बघेल
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बोधघाट परियोजना पर बड़ा बयान दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों की आर्थिक स्तर सुधारने उनके खेतों में पानी पहुंचाना जरूरी है. बस्तर के आदिवासियों के पास खेती तो है लेकिन पानी नहीं है. जो विरोध कर रहे हैं, उन्हें मैं चुनौती देता हूं कि कोई विकल्प है तो बताएं. भूपेश बघेल ने कहा कि बोधघाट परियोजना बनानी है, इसे लेकर उन्होंने कोई कसम नहीं खाई है.
भूपेश बघेल से सवाल पूछा गया था कि बोधघाट परियोजना का आदिवासी नेता अरविंद नेताम, सोहन पोटाई और मनीष कुंजाम विरोध कर रहे हैं. इस पर भूपेश बघेल ने ये जवाब दिया.
भूपेश बघेल ने कहा कि किसानों के खेत में पानी नहीं जाएगा तो कैसे उसके जीवन में परिवर्तन आएगा. विरोध करने वाले नेताओं पर सीधा हमला करते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि ये आदिवासियों का भला करने वाले नहीं हैं. यदि आदिवासियों का भला करना चाहते तो अंतिम छोर के आदिवासी के पानी की व्यवस्था करते. विरोध करने वालों ने अपने खेतों में तो पानी की व्यवस्था कर ली.
भूपेश बघेल ने कहा कि उन्होंने जब कहा था कि बड़े नेताओं की जितनी आदिवासियों की संपत्ति होनी चाहिए तो कुछ लोगों को तकलीफ हो गई थी. उनके पास क्यों संपत्ति नहीं होनी चाहिए, उके पास ज़मीन है लेकिन आज भी वे गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं. क्योंकि उनके खेत में पानी नहीं है. इसलिए वे आदिवासियों के खेतों में पानी पहुंचाना चाहते हैं. उन्होंने विरोध करने वाले नेताओं से फिर पूछा कि कि इसका कोई और तरीका है तो बता दें. विरोध करने वाले बताएं कि इन आदिवासियों की आर्थिकि स्थिति कैसे सुधरेगी.
भूपेश बघेल ने कहा है कि पहले जब ये परियोजना बंद हुई तब उससे बिजली पैदा करने का लक्ष्य था लेकिन आज बस्तर में सिंचाई का लक्ष्य है. भूपेश बघेल ने कहा कि आज इंद्रावती का पानी जोरा नाला के ज़रिए शबरी में चला जाता है. एक से डेढ़ लाख की जनसंख्या जगदलपुर की है जहां पेयजल का संकट पैदा हो जाता है.
भूपेश बघेल ने कहा कि इस परियोजना से कुछ गांव डूबेंगे, कुछ पुनर्वास होगा लेकिन लेकिन सबको सबसे बेहतर पुनर्वास नीति का फायदा मिलेगा. उन्होंने पूछा कि क्या आदिवासियों के खेत में पानी नहीं जाना चाहिए. क्या आदिवासियों की आर्थिक दशा सुधरनी नहीं चाहिए. क्या आदिवासियों के सुधार की कोई और योजना विरोध करने वाले के पास है तो बताएं. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार हो.
भूपेश बघेल ने यह बयान गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला रवाना होने से पहले रायपुर हेलीपेड पर दी. उन्होंने कहा कि बस्तर के लिए यह प्रोजेक्ट बहुत जरूरी है, इससे पेयजल भी मिलेगा. जो विरोध कर रहे उनसे सवाल किया कि क्या आदिवासियों के खेत में पानी नहीं जाना चाहिए? अगर इसका और कोई उपाय है तो सुझाव दें. बोधघाट बनाने की हमने कसम नहीं खाई है.जो विरोध कर रहें है वे आदिवासियों के हितैषी नहीं हैं.
भूपेश ने कहा कि जो विरोध कर रहे हैं, उन्होंने अपने खेत में पानी की व्यवथा कर ली है. बाकी आदिवासियों को हो अब पानी मिल रहा है तो तकलीफ हो रही है. अगर ये आदिवासी हितैषी हैं तो पहले अंतिम व्यक्ति के लिए पानी की व्यवस्था करने के बाद अपने लिए करते.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्यसभा में भावुक होने पर बोले कि आंसू तो आंसू होते हैं लेकिन उसके अपने मायने होते हैं.टिकैत जी के आंसू निकले तो यूपी राजस्थान हरियाणा के किसान उठ खड़े हुए. लेकिन प्रधानमंत्री के आंसू निकले तो इसका क्या असर है आप सब देख रहे हैं.