CG : अमित शाह ने सेट कर दिया है टारगेट, 125 गांवों की मैपिंग, हर इलाके की सटीक जानकारी…अब नहीं बच पाएगा मोस्टवांटेड नक्सली हिडमा!

रायपुर। छत्तीसगढ़ ही नहीं देश में नक्सलवाद हमेशा से एक गंभीर चुनौती बना हुआ है, और इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने कई रणनीतियां अपनाई हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को सूबे के बीजापुर और कांकेर जिले में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की, जिसमें 30 नक्सली मारे गए और सुरक्षा बलों ने भारी मात्रा में हथियार बरामद किए. इस ऑपरेशन में एक जवान ने भी अपनी जान गंवाई। जवानों की इस सफलता पर गृह मंत्री अमित शाह ने खुशी जताते हुए भरोसा दिलाया कि अगले साल 31 मार्च तक भारत को नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा।

125 गांवों की मैपिंग और हिडमा की तलाश
छत्तीसगढ़ और इसके आसपास के इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ चल रही इस जंग में अब तक 77 नक्सलियों का खात्मा हो चुका है. अब सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है नक्सली कमांडर हिडमा की तलाश करना, जो कि इस इलाके का सबसे खतरनाक और प्रभावशाली नक्सली नेता माना जाता है. हिडमा की खोज के लिए सुरक्षा बलों ने 125 से ज्यादा गांवों की टेक्निकल मैपिंग शुरू कर दी है, ताकि हर इलाके और रास्ते की सटीक जानकारी मिल सके. इन गांवों की मैपिंग में थर्मल इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे सुरक्षाबलों को छिपे हुए नक्सलियों की पहचान करने में मदद मिल रही है।
NTRO की मदद से हो रही है कार्रवाई
सुरक्षाबलों को इस मिशन में NTRO (National Technical Research Organisation) की मदद मिल रही है. NTRO इस इलाके की मैपिंग में सहयोग दे रहा है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब सुरक्षाबल जब भी ऑपरेशन पर जाएंगे, उन्हें सभी रास्तों और इलाके की सटीक जानकारी मिलेगी. इससे नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।
नक्सलमुक्त भारत का सपना होगा साकार
इस सफलता पर गृह मंत्री अमित शाह ने खुशी जताते हुए भरोसा दिलाया कि अगले साल 31 मार्च तक भारत को नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “नक्सलमुक्त भारत अभियान के तहत हमारे सुरक्षाबलों ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है. मोदी सरकार नक्सलियों के खिलाफ कठोर रवैया अपना रही है और समर्पण करने के बावजूद जो नक्सली आत्मसमर्पण नहीं कर रहे, उनके खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति अपना रही है.” शाह ने आगे कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ यह कड़ी लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक यह पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाता।
क्यों है यह कार्रवाई अहम?
यह कार्रवाई दिखाती है कि सरकार नक्सलियों के खिलाफ अपनी रणनीति में कितनी तेजी से और सटीकता से काम कर रही है. इन ऑपरेशनों से नक्सलियों की ताकत तो कम हो ही रही है, साथ ही सुरक्षा बलों को भी अधिक ठोस और सटीक जानकारी मिल रही है, जिससे अगले ऑपरेशनों को और अधिक प्रभावी तरीके से अंजाम दिया जा सकेगा।
अब आगे क्या?
गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार, अगले साल मार्च तक भारत नक्सलमुक्त हो जाएगा. यह बहुत बड़ा और चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है, लेकिन इस तरह की रणनीतिक सफलता से यह सपना सच हो सकता है. हालांकि, यह सिर्फ सुरक्षाबलों का काम नहीं है, बल्कि सरकार के अन्य विभागों, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास, को भी इस दिशा में काम करना होगा ताकि नक्सल प्रभावित इलाकों में लोगों की जिंदगी बेहतर हो सके और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।
नक्सलवाद से जंग
नक्सलवाद से निपटने का यह संघर्ष किसी साधारण लड़ाई से कहीं बढ़कर है. यह एक जंग है जिसमें सिर्फ सुरक्षा बल ही नहीं, बल्कि पूरी सरकार, समाज और वहां रहने वाले लोग भी योगदान दे रहे हैं. आने वाले समय में और ऑपरेशन होंगे, और उम्मीद की जा रही है कि छत्तीसगढ़ और अन्य प्रभावित राज्यों में नक्सलवाद की जड़ें जल्द ही खत्म हो जाएंगी. नक्सलियों के खिलाफ यह लड़ाई लंबे समय से चल रही है, और हर एक सफलता इस बात का प्रमाण है कि देश इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ठान चुका है.
कौन है माड़वी हिड़मा, हर बड़े नक्सली हमले में सामने आता है नाम

पूर्वती का रहने वाला हिड़मा आज नक्सलियों का बड़ा कमांडर है और प्रतिबंध संगठन CPI (माओवादी) का सदस्य है, और मोस्ट वांटेड नक्सली है. करीब 40-45 साल और छोटे कद का हिड़मा नक्सलियों की PLGA यानी People’s Liberation Guerilla Army की खूंखार बटालियन नंबर 1 का कमांडर है. हिड़मा माओवादियों की दंडकारण्य स्पेशल ज़ोन कमेटी DKSZ का सदस्य भी है. जानकारी के अनुसार हिड़मा हमेशा अपने साथ AK-47 लेकर चलता है. माना जाता है कि छत्तीसगढ़ में हुए हर बड़े हमले के पीछे हिड़मा का नाम सामने आता है. 90 के दशक में नक्सलियों के साथ शामिल होने वाला हिड़मा आज सबसे खतरनाक नक्सली बन चुका है. महिलाओं समेत करीब 250 हथियारबंद नक्सली हिड़मा के सुरक्षा घेरे में रहते हैं. सूत्र बताते हैं कि हिड़मा की सुरक्षा के 5 से 7 लेयर हैं और करीब 1 किलोमीटर तक हिड़मा का सुरक्षा घेरा फैला हुआ है.
2018 में सरेंडर करने वाले एक नक्सली ने सुरक्षाबलों को बताया था कि अगर हिड़मा का खात्मा हो जाता है तो सुकमा में नक्सलवाद की कमर टूट जाएगी. सूत्र बताते हैं कि हिड़मा के कई करीबियों को मार गिराया गया है, और हिड़मा का अंत भी बहुत दूर नहीं है.