September 29, 2024

मोहन यादव कैबिनेट में कांग्रेस विधायक बने मंत्री, 15 मिनट में ‘प्रमोशन’ भी मिला !

भोपाल। अक्सर कहा जाता है MP अजब है, MP गजब है…सोमवार यानी 8 जुलाई को एक बार फिर कुछ ऐसा ही हुआ. दरअसल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Mohan Yadav Government) ने सोमवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया.इस विस्तार में सिर्फ एक विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए रामनिवास रावत (Ramniwas Rawat) ने शपथ ली. दिलचस्प ये है कि रामनिवास रावत ने सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर मंत्री पद की शपथ ली. लेकिन इसके तुरंत बाद अधिकारियों को गलती का एहसास हुआ क्योंकि रावत को बतौर राज्यमंत्री शपथ दिलाई गई थी जबकि उन्हें कैबिनेट मंत्री (MP Cabinet Minister) के तौर पर शपथ दिलाया जाना था. इसके तुरंत बाद आनन-फानन में रावत को लगभग 9 बजकर 18 मिनट पर कैबिनेट मंत्री के तौर पर फिर से शपथ दिलाई गई.

इस समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और अन्य मंत्री भी मौजूद थे.जाहिर है दो बार हुए शपथ ग्रहण समारोह ने प्रक्रिया में हुई चूकों और राज्यपाल के कार्यालय की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं. समारोह शुरू होने से पहले मुख्य सचिव ने कार्यक्रम शुरू करने की अनुमति मांगी और बाद में इसे समाप्त करने की अनुमति भी ली थी.

दूसरी तरफ रामनिवास रावत ने अपने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान इतिहास रच दिया. वह ऐसे पहले व्यक्ति बन गए जिन्होंने कांग्रेस विधायक रहते हुए भाजपा सरकार में मंत्री पद ग्रहण किया है. इस अनूठी स्थिति को और भी जटिल बना दिया गया क्योंकि रावत ने कैबिनेट मंत्री के पद की शपथ लेने से पहले राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा नहीं दिया।

शपथ लेने के बाद, रामनिवास रावत ने राज्य सरकार के नेताओं का आभार व्यक्त किया जिन्होंने उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी.उन्होंने कहा- कांग्रेस को मुझ पर आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है जो उन्होंने मुझे नहीं दिया, राज्य सरकार ने मुझे दिया है. यहां मझे सम्मान मिला है. दो बार शपथ लेने की असामान्य स्थिति पर टिप्पणी करते हुए रावत ने मजाकिया अंदाज में कहा- “मैंने गलती से ‘का’ शब्द छोड़ दिया मैंने दो बार शपथ ली लेकिन मैं राज्य का पहला मंत्री हूं जिसने आधे घंटे में दो बार शपथ ली.”

उधर विपक्ष इस गलती पर फौरन कटाक्ष कर बैठा. कांग्रेस के प्रवक्ता अवनीश बुंदेला ने इस घटना की निंदा की और सरकार के सुशासन के दावे पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा- डॉ. मोहन यादव की सरकार में, जो सुशासन का दावा करती है, आज ऐसी लापरवाही, ऐसी गलती की है जिसे शायद देश में पहले कभी नहीं देखा गया. महामहिम राज्यपाल की उपस्थिति में, कांग्रेस से भाजपा में गए विधायक रामनिवास रावत ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली. जिसके बाद सरकार ने सूचित किया कि उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है.अब एक भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है. बुंदेला ने पूछा- क्या यह राज्यपाल कार्यालय के कर्मचारियों की लापरवाही थी या सरकार पर बड़े नेताओं जैसे शिवराज सिंह चौहान या ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबाव था.

रामनिवास रावत की राजनीतिक यात्रा
रामनिवास रावत जो श्योपुर जिले के विजयपुर से छह बार के विधायक हैं, 30 अप्रैल 2024 को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे.उन्होंने अपने क्षेत्र का अधिक विकास करने की इच्छा को पार्टी बदलने का मुख्य कारण बताया. रामनिवास रावत का राजनीतिक करियर बहुत विस्तार भरा रहा है. वे सबसे पहले दिग्विजय सिंह के शासनकाल में गृह राज्य मंत्री बने.आज उन्होंने एक बार फिर डॉ. मोहन यादव की सरकार में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली और कुछ ही मिनटों के भीतर कैबिनेट मंत्री का पद भी ग्रहण किया. रावत के शामिल होने से डॉ. मोहन यादव की सरकार में अब कैबिनेट मंत्रियों की संख्या 19 हो गई है. उनके मंत्रिमंडल में कुल 34 मंत्री हो सकते हैं. फिलहाल कैबिनेट में तीन पद खाली हैं. रावत की नियुक्ति से श्योपुर जिले में भाजपा की स्थिति मजबूत होने की उम्मीद है.हालांकि उनके पाला बदलने से विजयपुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव तय हो गया है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने रामनिवास रावत और बीना विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता समाप्ति के लिए विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के पास याचिका दायर की है.विपक्ष के नेता उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने यह याचिका दायर की है.

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