April 8, 2025

पहले जातिवादी पोस्ट फिर माफी…कहीं BJP-संघ की कोशिशों को पलीता न लगा दें हिमंता बिस्व सरमा

HEMANT CM
FacebookTwitterWhatsappInstagram

नई दिल्ली। ‘ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य की सेवा करना शूद्रों का स्वाभाविक कर्तव्य है’, असम के सीएम की यह टिप्पणी हाल में विवादों में घिर गई है। समूचा विपक्ष इस टिप्पणी को लेकर असम के सीएम पर हमलावर हो गया है। हालांकि, असम के सीएम की तरफ से इसके बाबत सफाई भी आ चुकी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है लोकसभा चुनाव से पहले इस तरह की टिप्पणी दलितों को साधने को संघ-बीजेपी की कोशिशों को पलीता लगा सकती है। बीजेपी ने अयोध्या में राम मंदिर में मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा समारोह से पहले सरकार ने अयोध्या के इंटरनेशल एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखने का फैसला किया है।

सरमा ने लिखा क्या था?
26 दिसंबर को शर्मा ने ‘एक्स’ और फेसबुक जैसे अपने सोशल मीडिया हैंडल पर ऑडियो-विजुअल पोस्ट अपलोड किया था। इसमें दावा किया था कि यह गीता के 18वें अध्याय का संन्यास योग का 44वां श्लोक है। उस एनीमेटेड वीडियो में कहा गया था कि कृषि कार्य, गो-पालन एवं वाणिज्य वैश्यों का आदतन एवं स्वाभाविक कर्तव्य है। तीन वर्णों- ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य की सेवा करना शूद्रों का स्वाभाविक कर्तव्य है। शर्मा ने यह भी कहा था कि भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं ही वैश्यों और शूद्रों के स्वाभाविक कर्तव्यों के प्रकारों की व्याख्या की है।’ उनके इस पोस्ट से बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। विपक्षी नेताओं ने इसे ‘भाजपा की मनुवादी एवं पश्चगामी विचारधारा’ करार देते हुए इसकी आलोचना की। विपक्ष की भारी आलोचना के बाद शर्मा ने अपने सभी सोशल मीडिया मंचों से इस पोस्ट को हटा दिया।

क्या कह रहा विपक्ष
कांग्रेस नेता उदित राज ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के सोशल मीडिया हैंडल पर डाली गई ‘जातिवादी टिप्पणी’ के लिए शुक्रवार को उनकी निंदा की और भाजपा नेता की सोच को ‘मनुवादी’ करार दिया। उदित राज ने अपने बयान में कहा कि इस संबंध में खबर आते ही सरमा ने अपनी पोस्ट हटा ली। हिमंत शर्मा को उनके गुरु प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी से संकेत मिला होगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि मोदी माफी मांगें। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हुआ तो माना जाएगा कि वे दलितों और ओबीसी को पुरानी पतनशील सामाजिक व्यवस्था में पीछे धकेलने जा रहे हैं। राज ने दलितों और अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के सदस्यों से अपील की कि वे भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ प्रदर्शन करें। उन्होंने कहा कि उन्हें इन फासीवादी शक्तियों को रोकने के लिए खड़े होना चाहिए।

सरमा क्या दे रहे सफाई?
असम के मुख्यमंत्री ने गुरुवार रात को ‘एक्स’ और फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा था कि वह अपने सोशल मीडिया हैंडल पर हर दिन सुबह भगवद् गीता का एक श्लोक अपलोड करते हैं और अब तक 668 श्लोक हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि हाल में मेरी टीम के एक सदस्य ने अठारहवें अध्याय के 44वें श्लोक को गलत अनुवाद के साथ पोस्ट कर दिया। जैसे ही मेरे संज्ञान में यह गलती आई, मैंने तुरंत उस पोस्ट को हटा दिया… यदि हटाए गए इस पोस्ट से किसी की भावना आहत हुई हो तो मैं हृदय से माफी मांगता हूं। मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि असम महापुरूष श्रीमंत शंकरदेव के समाज सुधार आंदोलन के फलस्वरूप एक जातिविहीन समाज की ‘पूर्ण झलक’ पेश करता है।

संघ-बीजेपी के लिए मुश्किल क्यों?
दलितों के खिलाफ बयान को लेकर संघ-बीजेपी में भी निश्चित रूप से चिंता बढ़ गई होगी। यही वजह है कि जल्द से जल्द हिंमत के बयान को डिलीट करवाया गया। उत्तर भारत में यूपी, बिहार से लेकर मध्यप्रदेश में अगड़ी जातियां बीजेपी का कोर वोटर है। इसमें भी ब्राह्मण पार्टी के प्रति वफादार रहे हैं। इसके अलावा पिछले कुछ सालों में बीजेपी ओबीसी और दलितों को भी अपने पाले में करने में जुटी हुई है। जब बीजेपी के कोर वोटर में दलितों और पिछड़ों का वोट जुड़ जाता है तो पार्टी अजेय हो जाती है। इस क्रम में यूपी में छोटे दलों के साथ गठबंधन के अलावा बिहार में भी पार्टी लोजपा और अन्य दलों को अपने साथ रखना चाहती है। बीजेपी ने अगले लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी से अधिक वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में दलितों का बीजेपी के पक्ष में समर्थन काफी अहम हो जाता है। यदि ऐसे में पार्टी के बड़े नेता और किसी सूबे के मुख्यमंत्री की तरफ से इस तरह की जातिवादी टिप्पणी होगी तो निश्चित रूप से इसका असर पार्टी के वोट बैंक पर पड़ेगा।

FacebookTwitterWhatsappInstagram

मुख्य खबरे

error: Content is protected !!
Exit mobile version