April 17, 2025

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद ले रहा अंतिम सांसें, सरकार के प्रयास से माओवादी कर रहे सरेंडर : सीएम साय

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकार नक्सल मोर्चे पर लगातार बेहतर काम कर रही है. प्रदेश के सीएम विष्णुदेव साय ने शनिवार को यह दावा किया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार नई नक्सल पुनर्वास नीति और सुरक्षाबलों के ऑपरेशन की वजह से नक्सलवाद अंतिम सांसें ले रहा है. सरकार की पुनर्वास नीति की वजह से उनके शासनकाल में अब तक 1,314 नक्सलियों ने सरेंडर किया है.

विकसित छत्तीसगढ़ के लिए विचार सम्मेलन: सीएम विष्णुदेव साय ने दिल्ली में आयोजित विकसित छत्तीसगढ़ के लिए विचार सम्मेलन में ये बातें कही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सरेंडर करने वाले नक्सलियों को पीएम आवास योजना देने का फैसला किया. इसके तहत 15,000 आवास प्रदान किए हैं. सरकार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने पर भी काम कर रही है ताकि वे रोजगार के योग्य बन सकें. सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि हमने अपने राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा को असम सहित कई अन्य राज्यों में पुनर्वास नीतियों को देखने के लिए भेजा. उसके बाद हमारे राज्य में नई नक्सल नीति बनी.

हम सरेंडर करने वाले नक्सलियों को जिला मुख्यालयों में रखते हैं. हम उनके कौशल विकास पर भी काम कर रहे हैं ताकि उन्हें कुछ रोजगार मिल सके. हम उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार सरकारी संगठनों में तीसरे और चौथे वर्ग में नौकरी भी देते हैं. जैसे ही हमारी सरकार आई, हमने नक्सलियों से कहा कि उन्हें गोली और हिंसा छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल होना चाहिए.- विष्णुदेव साय, सीएम, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपने अंत के करीब है और अब केवल मुट्ठी भर कैडर ही बचे हैं. पिछले 1.5 वर्षों में भारी इनाम वाले लगभग 359 नक्सलियों को मार गिराया गया है. अब छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अब अंतिम सांस ले रहा है. डेढ़ साल में 359 हार्डकोर नक्सली मारे गए हैं. जनता का भरोसा सरकार पर बढ़ा है. लोगों ने नक्सलियों पर भरोसा करना छोड़ दिया है- विष्णुदेव साय, सीएम, छत्तीसगढ़

नियद नेल्लानार योजना का किया जिक्र: सीएम विष्णुदेव साय ने नियद नेल्लानार योजना का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि गोंडी भाषा के इस शब्द का मतलब होता है आपका सुंदर गांव. बस्तर में लगातार सुरक्षा कैंप खोले जा रहे हैं. सीएम साय ने दावा किया कि कैंप खुलने के बाद कैंप के पाचं किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी गांव के नक्सली भाग जाते हैं.

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