‘पनौती’ की पॉलिटिक्स..24 का एजेंडा फिक्स? क्या ‘पनौती’ वाला शब्द जानबूझ कर दिया गया?
रायपुर। Politics on Panauti इस वक्त एक नेगेटिव शब्द गूंज रहा है’पनौती’। पक्ष के-विपक्ष के कांग्रेस के-बीजेपी के नेता ‘पनौती कौन’ वाली बहस में अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। ये बहस इतनी व्यापक हो चुकी है कि सोशल मीडिया में पनौती टॉप ट्रेंडिंग पर हैं। दरअसल, बीते रविवार को भारतीय क्रिकेट टीम और करोड़ों देशवासियों का ‘क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023’ जीतने का सपना टूटा। इसके बाद मायूसी भरे माहौल में सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया के ढेरों कमेंट्स दिखने लगे। जिनमें से कुछ ने हार के लिए जिम्मेदार पनौतियों का जिक्र करना शुरू कर दिया। हद ये कि सियासी मंचों से क्रिकेट मैच क्यों हारे, उस पर कुछ ऐसा कहा गया जिसकी उम्मीद देश कम से कम अपने नेताओं से नहीं करता। ऐसा ही एक कमेंट किया गया देश के प्रधानमंत्री पर। जिसके बाद से सियासी महौल में बवाल मचा हुआ है
क्या ये चुनावी माहौल में मुंह से अनायास निकली कोई बड़बोली बात है या फिर क्या ये किसी नेता की दूसरे नेता के प्रति नफरत की पराकाष्ठा है? या फिर ये चुनावी दौर में स्तरहीन होती भाषा का एक और नमूना है। ये सारे सवाल उठ खड़े हुए हैं। कांग्रेस सांसद राहुल की राजस्थान में चुनाव प्रचार के दौरान, जालौर की जनसभा में सार्वजनिक तौर पर की गई टिप्पणी पर वैसे सोशल मीडिया पर बिना सही पहचान वाले अकाउंट से इस तरह की टिप्पणी पर अब किसी को हैरत नहीं होती लेकिन कांग्रेस के सबसे बड़ा नेता की खुले मंच से, देश के प्रधानमंत्री को लेकर कही गई इस बात से बीजेपी आगबबूला है। बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी के बयान पर, राष्ट्रद्रोह, राष्ट्रीय शर्म, मंदबुद्धि का नमूना जैसे कड़े शब्दों के साथ चौतरफा हमला बोला।
मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ में चुनाव हो चुके हैं। नतीजों की बारी है, देश के हिंदी पट्टी वाले स्टेट राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत 5 राज्यों में आने वाले नतीजों को 2024 आम चुनाव का सेमीफायनल माना जा रहा है। ऐसे वक्त पर कांग्रेसी नेता राहुल गांधी की प्रधानमंत्री को पनौती बताने वाले बयान को बीजेपी जनता के बीच ले जाकर माहौल को अपने पक्ष में करने का पूरा-पूरा प्रयास करेगी। बीजेपी नेता खुले तौर पर कह चुके हैं वो इसे बड़ा मुद्दा बनाएंगे। इतिहास भी रहा है। जब-जब कांग्रेसी नेताओँ ने चायवाला, मौत का सौदागर, नीच जैसे शब्दों के साथ मोदी के खिलाफ टिप्पणी की। भाजपा को उसका सियासी फायदा हुआ है तो क्या एक बार फिर कांग्रेस हिट विकेट होने की तैयारी कर चुकी है। सबसे बड़ा सवाल देश-प्रदेश शब्द पनौती को कैसे लेता है, वो किसे असल पनौती मानता है?