December 24, 2024

अमेठी से राहुल और फूलपुर से नीतीश, क्या बीजेपी के गढ़ में ही है बीजेपी को रोकने की है तैयारी?

UP-NITISH RAHUL

नईदिल्ली। राहुल गांधी और नीतीश यूपी के लोकसभा सीटों से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. फूलपुर लोकसभा सीट पर अखिलेश यादव की सहमति से एक सर्वे कराया गया है जिसमें नीतीश कुमार को उतारे जाने पर जीत और हार के आंकलन को परखा गया है. ज़ाहिर है सपा प्रमुख अखिलेश, नीतीश के सहारे कुर्मी वोटर को साधने में जुटे हैं वहीं अमेठी से राहुल को मैदान में उतारकर विपक्ष विपक्षी एकता की ताकत को उत्तर प्रदेश में और मजबूत करने की तैयारी में जुट गया है.

फूलपुर और अमेठी से नीतीश और राहुल को उतारे जाने की क्यों हो रही है तैयारी ?
फूलपुर राजनीति के प्रयोगशाला के तौर पर जाना जाता रहा है. यहां कांशीराम से लेकर जवाहर लाल नेहरू और अतीक अहमद भी अपना भाग्य आजमा चुके हैं. दरअसल कुर्मी बाहुल्य इस सीट पर नीतीश कुमार को उतारकर कुर्मी वोटों को साधने की तैयारी समाजवादी पार्टी कर रही है. समाजवादी पार्टी को उम्मीद है कुर्मी मतदाताओं को साधने के लिए नीतीश जैसा बड़ा चेहरा जरूरी है जो यूपी में बीजेपी के मजबूत किले को भेदने के लिए जरूरी है. दरअसल बेनी प्रसाद वर्मा के बाद उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को कुर्मी का कोई बड़ा चेहरा नहीं मिल सका है. इसलिए तकरीबन 10 सीटों पर निर्णायक भूमिका में रहने वाले कुर्मी सुमदाय को साधने के लिए विपक्ष नए प्रयोग करने में जुट गया है.

कुर्मी समाज का प्रभाव का प्रभाव यूपी के 25 जिलों में हैं जहां 16 जिलों में 12 फीसदी से अधिक मतदाता कुर्मी समाज से ताल्लुक रखते हैं. पूर्वांचल ,बुदंलेखंड अवध और रुहेलखंड में कुर्मी समाज की राजनीतिक ताकत का लोहा तमाम सियासी पार्टियां मानती हैं. इसलिए विपक्षी पार्टियां कुर्मी के सबसे बड़े चेहरे नीतीश पर दांव खेलकर बीजेपी को उत्तर प्रदेश में ही घेरने की तैयारी कर रही है.

पुर्वांचल में नीतीश के अलावा विपक्षी पार्टियां अमेठी से राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाने की पक्षधर हैं. विपक्षी पार्टियां बीजेपी के गढ़ में ही आक्रामक होकर मैदान में उतरना चाह रही हैं. कांग्रेस भी दक्षिण के टैग से बाहर निकलने को लेकर तैयार है वहीं अपने पैन इंडिया प्रेजेंस को बरकरार रखना चाह रही है. इसलिए यूपी और बिहार जैसे बड़े राज्यों में कांग्रेस अपनी मजबूती को लेकर फिकरमंद है.

नीतीश को यूपी से चुनाव लड़ाने की बात क्यों की ?
यूपी के फूलपुर, जौनपुर, अबेंडकर नगर, प्रतापपुर जैसे कई सीटों पर नीतीश कुमार की उम्मीदवारी को लेकर चर्चा तेज हैं. सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव की मर्जी से यहां गुप्त सर्वे भी कराया गया है. ज़ाहिर है अखिलेश भी नीतीश कुमार को फूलपुर से ही उम्मीदवार बनवाने के पक्ष में हैं. इसलिए बिहार सरकार में नीतीश के काफी करीबी मंत्री श्रवण कुमार और मंत्री विजेंद्र यादव नीतीश कुमार को लेकर बड़े बड़े दावे कर रहे हैं.

वैसे बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने साल 2010 के बाद से ही अपने राज्य के बाहर हाथ पैर फैलाना शुरू कर दिया था. लेकिन चुनाव परिणाम में जेडीयू साल 2010 के बाद 2022 में भी बुरी तरह फिसड्डी साबित हुई है. दरअसल जेडीयू की उम्मीद विपक्षी पार्टियों की दो बैठक के बाद बढ़ गई हैं. इसलिए जेडीयू को लग रहा है कि कुर्मी बाहुल्य सीटों पर नीतीश को उतारे जाने से नीतीश बाजी मार सकते हैं और कुर्मी समाज के बड़े नेता के तौर पर पदस्थापित होकर केन्द्र में नेतृत्व को लेकर दावेदारी मजबूत हो सकती है. नीतीश लाख कहें लेकिन उनके पीएम बनने की महत्वाकांक्षा किसी से छिपी नहीं है. ज़ाहिर है नीतीश जैसे कद्दावर नेता का कुर्मी बाहुल्य इलाके से मैदान में उतरना सपा सहित विपक्षी पार्टियों को बड़ी ताकत दे सकता है. इसलिए सपा और कांग्रेस भी इन सीटों पर बीजेपी को पटखनी देने के लिए नीतीश को आजमाने के लिए तैयार दिख रही हैं.

राहुल को यूपी के अमेठी से लड़ाने की है तैयारी ?
दक्षिण के वायनाड के अलावा कांग्रेस अपने दिग्गज नेता को उत्तर प्रदेश में भी लड़ाने की पक्षधर है. विपक्षी एकता की दो मीटिंग और भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस पार्टी का आत्मविश्वास राहुल गांधी को लेकर बढ़ा है. वैसे भी अमेठी और बरेली गांधी परिवार का परंपरागत सीट रहा है. कांग्रेस यहां से हमेशा परिवार के सदस्य या उसके करीबियों को मैदान में उतारती रही है.

ज़ाहिर है 80 लोकसभा सीटों वाले प्रदेश में विपक्षी पार्टियां अपने दो बड़े नेताओं पर दांव खेलने की सोच रही है . सपा तीसरे नेता के तौर पर मैदान में अखिलेश यादव और आरएलडी जयंत चौधरी को भी मैदान में उतार सकती है. पिछले दो चुनाव में 70 और 64 सीट पाने वाली बीजेपी को 40 के आसापस समेटने की योजना पर विपक्षी पार्टियां सिरे से काम कर रही हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल की योग्यता बहाल हो गई है. राहुल गांधी फिलहाल वायनाड से सांसद हैं. राहुल गांधी को एकबार फिर अमेठी से चुनाव लड़ाकर उत्तर प्रदेश में बड़ा मैसेज देने की तैयारी कांग्रेस कर रही है. इस कवायद में आरएलडी,सपा और कांग्रेस का गठजोड़ बीजेपी को गंभीर चुनौती पेश कर सकता है ऐसा बीजेपी विरोधी पार्टियां मानकर चल रही हैं.

राहुल और नीतीश की मौजूदगी बीजेपी के सामने होंगी कितनी बड़ी चुनौती?
जेडीयू पिछले बारह साल में दो बार अकेले दम पर यूपी में चुनावी मैदान में उतरी है. लेकिन एक भी विधानसभा सीट पर अपना असर छोड़ नहीं सकी है. ज़ाहिर है पिछले दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इक्के दुक्के सीट पर सिमटकर यूपी में हाशिए पर जा चुकी है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा का एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का प्रयोग पूरी तरह विफल रहा है. वहीं साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा भी साथ मिलकर बीजेपी को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा सकी थी.

यूपी में कुर्मी मतदाताओं में पकड़ अपना दल का है जिसकी नेता अनुप्रिया पटेल बीजेपी की घटक दल हैं. जाहिर है बीजेपी कुर्मी मतदाताओं पर मजबूत पकड़ बरकरार रखने के लिए कई और दांव खेल सकती है. लेकिन विपक्षी पार्टियों को भरोसा है कि कुर्मी के बड़े चेहरे को विपक्ष उम्मीदवार बनाता है तो यूपी में खेल पलट सकता है और विपक्षी पार्टियां लाभान्वित हो सकती हैं.

वैसे नीतीश आखिरी बार साल 2004 में बाढ़ और नालंदा से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. बाढ़ में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था वहीं नालंदा में उनकी जीत ने उन्हें लोकसभा तक पहुंचाया था. नीतीश ठीक बीस साल बाद दूसरे प्रदेश में उम्मीदवार बनते हैं तो इसका असर बिहार में कैसा पड़ेगा ये कहना फिलहाल जल्दबाजी होगा. वहीं राहुल गांधी का अमेठी के अलावा वायनाड का चुनाव करना पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विरोध में गया था और राहुल अमेठी से हार गए थे. माना जा रहा है कि दस साल के बीजेपी के शासन के बाद एंटी इन्कमबेंसी चरम पर है जिसको भुनाने नीतीश और राहुल यूपी के लोकसभा सीटों का चुनाव करते हैं तो विपक्ष के नेता,जयंत और अखिलेश यादव की मदद से बीजेपी के अभेद्य किले को भेदा जा सकता है.

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