सुशांत केस: ‘सामना’ में शिवसेना का तंज, ‘कई गुप्तेश्वरों को महाराष्ट्र द्वेष का गुप्तरोग..100 दिन खुजाने के बाद भी हाथ क्या लगा?’
मुंबई। बिहार के सियासी समर में पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के उतरने और बॉलिवुड के दिवंगत ऐक्टर सुशांत सिंह राजपूत मामले में एम्स की रिपोर्ट आने पर शिवसेना ने एक बार अपने मुखपत्र सामना में तंज कसा है। शिवसेना उन सभी लोगों पर निशाना साधा है, जिन्होंने इस चर्चित मामले की जांच के नाम पर महाराष्ट्र, मुंबई और ठाकरे सरकार को घेरने की कोशिश की थी। शिवसेना ने सामना के सम्पादकीय में लिखा है कि सीबीआई की जांच में पता चला है कि सुशांत एक चरित्रहीन और चंचल कलाकार था। साथ ही गुप्तेश्वर पांडेय पर भी निशाना साधा है।
‘एम्स ने सच्चाई बाहर लाई’
‘सामना’ में लिखा है कि सत्य को कभी छुपाया नहीं जा सकता। सुशांत सिंह मामले में आखिर यह सच सामने आ चुका है। इस मामले में जिन्होंने महाराष्ट्र को बदनाम किया, उनका वस्त्रहरण हो चुका है। ‘ठाकरी’ भाषा में कहें तो सुशांत आत्महत्या प्रकरण के बाद कई गुप्तेश्वरों को महाराष्ट्र द्वेष का गुप्तरोग हो गया था। 100 दिन खुजाने के बाद भी हाथ क्या लगा? एम्स ने सच्चाई बाहर लाई है।
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने फांसी लगाकर आत्महत्या ही की है। उसका खून नहीं हुआ है। सबूतों के साथ ऐसा सच एम्स के डॉक्टर सुधीर गुप्ता सामने लाए हैं। डॉक्टर गुप्ता शिवसेना के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख नहीं हैं। उनका मुंबई से संबंध भी नहीं है। डॉ. गुप्ता ‘एम्स’ के फॉरेंसिक विभाग के प्रमुख हैं। इसी ‘एम्स’ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इलाज के लिए भर्ती हुए और ठीक होकर घर लौटे। जिस ‘एम्स’ पर देश के गृह मंत्री को विश्वास है, उस ‘एम्स’ ने सुशांत मामले में जो रिपोर्ट दी है, उसे अंधभक्त नकारेंगे क्या?
‘असफलता से निराश थे सुशांत’
‘सामना’ संपादकीय में लिखा है कि सुशांत विफलता और निराशा से ग्रस्त थे। जीवन में असफलता से वह अपने आपको संभाल नहीं पाया। इसी कशमकश में उसने मादक पदार्थों का सेवन करना शुरू कर दिया और एक दिन फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।
मुंबई पुलिस इस मामले की बड़ी बारीकी से जांच कर ही रही थी।
मुंबई पुलिस दुनिया का सर्वोत्तम पुलिस दल है। लेकिन मुंबई पुलिस कुछ छुपा रही है। किसी को बचाने का प्रयास कर रही है। ऐसा धुआं उड़ाया गया। मुंबई पुलिस ने इस मामले में जिस नैतिकता और गुप्त तरीके से जांच की, वह केवल इसलिए ताकि मृत्यु के पश्चात तमाशा न बने। लेकिन सीबीआई ने मुंबई आकर जब जांच शुरू की तब पहले 24 घंटे में ही सुशांत का ‘गांजा’ और ‘चरस’ प्रकरण सामने आ गया।
सीबीआई जांच में पता चला कि सुशांत एक चरित्रहीन और चंचल कलाकार था। बिहार की पुलिस को हस्तक्षेप करने दिया गया होता तो शायद सुशांत और उसके परिवार की रोज बेइज्जती होती। बिहार राज्य और सुशांत के परिवार को इसके लिए मुंबई पुलिस का आभार मानना चाहिए।
कंगना पर भी कसा तंज
‘सामना’ में फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत का नाम न लेते हुए तंज कसा गया है। संपादकीय में लिखा है कि सुशांत की मौत को जिन्होंने भुनाया, मुंबई को पाकिस्तान और बाबर की उपमा दी, वह अभिनेत्री अब किस बिल में छिपी है? हाथरस में एक युवती से बलात्कार करके मार डाला गया। वहां की पुलिस ने उस युवती के शरीर का अपमान करके अंधेरी रात में ही लाश को जला डाला। इस पर उस अभिनेत्री ने आंखों में ग्लिसरीन डालकर भी दो आंसू नहीं बहाए।
जिन लोगों ने उस लड़की से बलात्कार किया, वे उस अभिनेत्री के भाई-बंधु हैं क्या? जिस पुलिस ने उस लड़की को जलाया, वे पुलिसकर्मी उस अभिनेत्री के घरेलू नौकर हैं क्या? जिन्होंने पिछले 100 दिनों में महाराष्ट्र और मुंबई पुलिस की बदनामी की, ऐसी गुप्तेश्वरी अभिनेत्रियां और ‘गुप्तेश्वर’ अब कौन-सा प्रायश्चित करेंगे?