September 21, 2024

यूनिफाइड पेंशन स्कीम : कांग्रेस की तरफ झुक चुके सरकारी कर्मचारियों को अपने पाले में खींचने की कोशिश में बीजेपी

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी नें आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए शनिवार को एक बड़ा दांव चला है। नई पेंशन स्कीम को लेकर सरकारी कर्मचारियों के बीच उपजे असंतोष को खत्म करने के लिए सरकार यूनिफाइड पेंशन स्कीनम लेकर आई है। इस नई पेंशन स्कीम से बीजेपी की कोशिश कांग्रेस की तरफ मुड़ रहे सरकारी कर्मचारियों को अपने पाले में खींचना भी है। बीजेपी को भी भलीभांति पता है कि कांग्रेस ने ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने के अपने वादे के चलते हिमाचल का गढ़ छीना था। आने वाले महीनों में जम्मू-कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव हैं, ऐसे में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इसे पूरी तरह से भुनाने का प्रयास करेगा।

नजर आने वाले चुनावों पर
सरकारी कैडर, विशेष रूप से दिल्ली में जहां फरवरी में चुनाव होने हैं, भाजपा का वोट बैंक रहे हैं। इससे उलट हाल के राज्य चुनावों में, OPS बहाली की मांग को भाजपा को हराने के लिए एक राजनीतिक छड़ी के रूप में इस्तेमाल किया गया था। हिमाचल प्रदेश में इसका असर दिखा और कांग्रेस ने एक बार फिर वहां वापसी की। हालांकि, पार्टी मध्य प्रदेश में किसी भी नुकसान से बच गई और उसने राज्य में लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में व्यापक रूप से जीत हासिल की थी। हालांकि लोकसभा चुनावों में यह मुद्दा कम था, लेकिन मुखर सरकारी कर्मचारियों के एक वर्ग की नाखुशी स्पष्ट थी। कई पर्यवेक्षकों ने अनुमान लगाया कि यह आगामी चुनावी लड़ाई में एक कारक हो सकता है। करीब 18 महीने की मेहनत के बाद, एकीकृत पेंशन योजना (UPS) को लागू करने का फैसला हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों से पहले लिया गया है, जिसके लिए तारीखों की घोषणा कर दी गई है। महाराष्ट्र और झारखंड में भी इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

कांग्रेस पर अश्विनी वैष्णव का हमला
कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में ओपीएस की पुरजोर वकालत की थी, लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनावी झटके के बाद ओपीएस पर वह चुप थी और लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी इसका उल्लेख नहीं किया था। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने योजना पर कैबिनेट के फैसले के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि कैसे कांग्रेस ने इसे हिमाचल और राजस्थान में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया, लेकिन पार्टी द्वारा राज्यों में कभी भी ओपीएस को लागू नहीं किया गया, जिससे यह एक भ्रम बन गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा कर्मचारियों के प्रति असंवेदनशील रही है, जो हिमाचल और राजस्थान में देखी भी गई है। पार्टी ने दोनों राज्यों में वादे किए लेकिन ओपीएस को लागू करने में विफल रही,भ्रम पैदा करने की उनकी राजनीति एक बार फिर से बेनकाब हो गई।

उन्होंने आगे कहा कि दूसरी ओर, यूपीएस, पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक सुविचारित योजना थी क्योंकि यह पूरी तरह से राज्य द्वारा वित्त पोषित है और अंतर-पीढ़ी समानता का वादा करती है। मंत्री ने कहा कि इसके अलावा, वर्तमान आवश्यकता के आधार पर धन प्रदान किया जाएगा, भविष्य के लिए कुछ भी नहीं छोड़ा जाएगा, जैसा कि कांग्रेस ने हिमाचल और राजस्थान में किया था।

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