तीनों राज्यों के CM की तरह क्या मंत्रिमंडल भी बदलेगा?, रमन-शिवराज-वसुंधरा के करीबियों को मिलेगी जगह या चलेगा गुजरात फॉर्मूला…
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बीजेपी की सरकार बन गई है. तीनों ही राज्यों में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री शपथ ले चुके हैं. अब बारी तीनों राज्यों में मंत्रिमंडल के गठन की है. रमन सिंह, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान सीएम की रेस से बाहर होने के बाद क्या उनके करीबी नेताओं को कैबिनेट गठन में हिस्सेदारी मिलेगी? यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि गुजरात में बीजेपी ने सीएम के साथ-साथ पूरी कैबिनेट ही बदल दी थी. क्या मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में यही फॉर्मूला आजमाया जाएगा या फिर पुराने और नए चेहरों का संतुलन बनाकर कैबिनेट गठन होगा?
मध्य प्रदेश में बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान की जगह पर मोहन यादव को सीएम की कुर्सी सौंपी है. ऐसे ही राजस्थान में वसुंधरा राजे की जगह भजनलाल शर्मा सीएम बने हैं, तो छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के स्थान पर विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया गया है. मोदी-शाह ने तीनों ही राज्यों में नए चेहरों के साथ-साथ जातीय समीकरण को साधने के लिए दो-दो डिप्टी सीएम बनाने का दांव भी चला है.
यही वजह है कि कैबिनेट गठन को लेकर भी क्या बीजेपी नए चेहरों पर भरोसा जताएगी, क्योंकि कैबिनेट गठन को लेकर कई तरह के सियासी कयास लगाए जाने लगे हैं. ऐसे में देखना है कि क्या मंत्रिमंडल के गठन में भी चौंकाने वाला फैसला हो सकता है?
राजस्थान में कैसा होगा मंत्रिमंडल?
राजस्थान की कैबिनेट में मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम सहित कुल 30 मंत्री अधिकतम हो सकते हैं. भजनलाल शर्मा को सीएम, दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को डिप्टी सीएम बनाया गया है. इस तरह से अब कैबिनेट में 27 मंत्री की जगह बच रही है. राजस्थान में बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता चुनाव जीतकर आए हैं, जिनमें चार बीजेपी के सांसद भी हैं, जो विधायक बने हैं.
दीया कुमारी डिप्टी सीएम बन गई हैं, जिसके बाद बाबा बालकनाथ, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और किरोड़ी लाल मीणा जैसे दिग्गज नेताओं को एडजस्ट करना होगा. सांसद से सिर्फ विधायक बनने के लिए ये नेता चुनाव नहीं लड़े, बल्कि सरकार में उनकी अहम भूमिका होगी. इसलिए माना जा रहा है कि इन अनुभवी नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो वसुंधरा राजे ने सीएम की कुर्सी ऐसे ही नहीं छोड़ी, उन्होंने यह पद बहुत बड़ा दिल करके त्यागा है. ऐसे में वसुंधरा राजे के करीबी नेताओं को मंत्रिमंडल से इग्नोर नहीं किया जा सकता है. इस बार के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे के करीबी 28 विधायक बीजेपी के टिकट पर जीतकर आए हैं.
इसके अलावा 6 विधायक निर्दलीय जो बने हैं, उसमें भी ज्यादातर उनके समर्थक हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में महज चार महीने का ही वक्त बचा है, जिसके चलते केंद्रीय नेतृत्व कोई बड़ा रिस्क लेने का कदम नहीं उठाएगा. इसलिए माना जा रहा है कि बीजेपी वसुंधरा राजे के कई करीबी नेताओं को कैबिनेट में जगह देकर एक संतुलन बना सकती है.
एमपी में किस तरह का होगी कैबिनेट?
मध्य प्रदेश में बीजेपी 163 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत हासिल कर सत्ता में आई है. शिवराज सिंह चौहान की जगह मोहन यादव को सत्ता की कमान सौंपी गई है, तो जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला को डिप्टी सीएम को बनाया गया है. एमपी में सीएम और डिप्टी सीएम के साथ अधिकतम 34 मंत्री बन सकते हैं. एक सीएम और दो डिप्टी सीएम बनने के बाद 31 मंत्री अभी बनाए जाने हैं. इस बार मध्य प्रदेश में तमाम बीजेपी के दिग्गज नेता चुनाव जीतकर आए हैं, उनमें दो केंद्रीय मंत्री सहित पांच सांसद हैं. इसके अलावा बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय विधायक बने हैं.
नरेंद्र सिंह तोमर को स्पीकर की कुर्सी सौंप दी है, लेकिन प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह, रीति पाठक, गोपाल भार्गव जैसे नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया जाना है. इसके अलावा भूपेंद्र सिंह जैसे नेता भी जीते हैं. शिवराज सिंह चौहान को भले ही सीएम न बनाया गया हो, लेकिन उनके करीबी नेताओं को मंत्रिमंडल में एंट्री मिल सकती है. इसी तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया के तमाम करीबी नेता चुनाव जीतकर आए हैं, जिन्हें एडजस्ट किए जाना है. 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह आसान नहीं है कि शिवराज और सिंधिया के करीबी नेताओं को नजरअंदाज कर दिया जाए.
छत्तीसगढ़ में कौन बनेगा मंत्री?
छत्तीसगढ़ में सीएम और डिप्टी सीएम सहित 13 मंत्री अधिकतम हो सकते हैं. रमन सिंह की जगह विष्णुदेव साय सीएम बने हैं और उनके साथ दो डिप्टी सीएम बने हैं. इस तरह से अब कैबिनेट में 10 मंत्री की जगह बच रही है. बीजेपी के दो सांसद विधायक बने हैं, जिन्हें भी कैबिनेट में जगह देनी होगी. इसके अलावा ओपी चौधरी जैसे दिग्गज नेता जीते हैं और आधा दर्जन से ज्यादा पूर्व मंत्री भी चुनाव जीतकर विधायक बने हैं.
रमन सिंह भले ही स्पीकर की कुर्सी पर विराजमान हो रहे हों, लेकिन उनके तमाम करीबी नेताओं को कैबिनेट से इग्नोर करना मुश्किल है. इसके अलावा बृजमोहन अग्रवाल भी जीतकर आए हैं, जो मंत्री बनने वाले नेताओं की रेस में है. ऐसे में देखना है कि मंत्रिमंडल में किसे जगह मिलती है?
लोकसभा चुनाव का बड़ा सियासी दांव
माना जाता है कि बीजेपी नेतृत्व 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राज्यों में नए चेहरों को सीएम बनाकर आगे बढ़ाया है. मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंधरा राजे की लोकप्रियता जनता के बीच अभी बनी है. इन तीन राज्यों की अधिकतर सीटें अभी भी बीजेपी के पास हैं. अगर लोकप्रिय नेताओं के समर्थक नाराज होते हैं तो पार्टी को नुकसान हो सकता है.
इस हालात में नए नेताओं को अगले चार महीने में जनता के बीच लोकप्रियता हासिल करनी होगी. दूसरा केंद्रीय नेतृत्व को इस बात पर ध्यान देना होगा की पुराने क्षत्रपों को सम्मान के साथ संजोकर रखा जाए. फिलहाल बीजेपी लोकसभा चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ेगी. ऐसे मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नेताओं को भी वोट जुटाने की जिम्मेदारी दी जाएगी.