December 27, 2024

होलाष्टक : आठ दिनों तक प्रहलाद को मिली थी यातना,नहीं होते शुभ कार्य

holika_dahan_11

इस साल होलाष्टक की शुरुआत तीन मार्च 2020 दिन मंगलवार से हो रही है, जो 8 दिन चलता है। होलाष्टक का अर्थ है होली से 8 दिन पूर्व का समय, जो कई बात तिथियों के घटने की वजह से सात दिन भी मनाया जाता है। होलाष्टक का प्रारंभ फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है, जो होलिका दहन तक रहता है। इस बार तीन मार्च से 09 मार्च तक होलाष्टक मनाया जाएगा। 09 मार्च को होली जलाए जाने के बाद 10 मार्च को रंग खेला जाएगा।

होलाष्टक के दिनों में विवाह, नामकरण, विद्या प्रारंभ, गृह प्रवेश, भवन निर्माण, हवन, यज्ञ आदि कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। लेकिन जन्म और मृत्यु के बाद किए जाने वाले कार्य कर सकते हैं। दरअसल, इन दिनों में ग्रहों का व्यवहार उग्र रहता है और मान्यता है कि इस समय किए गए सभी कार्यों से हानि की आशंका रहती है। मान्यता यह भी है कि होलाष्टक की शुरुआत वाले दिन ही शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। कहा जाता है कि होलाष्टक काल के दौरान ही हिरण्यकश्यप के आदेश पर उसके बेटे प्रहलाद को घोर यातनाएं दी गई थीं। भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद हर यातना को हंसते हुए पार कर गया था।

आखिरी में होली कि दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आदेश दिया कि वह अपने साथ प्रहलाद को लेकर आग में बैठ जाए। होलिका के पास एक विशेष वस्त्र था, जिसको ओढ़ लेने पर आग बे-असर हो जाती थी। मगर, जैसे ही लकड़ियों में आग लगाई गई, तेज हवा चलने लगी और होलिका का वह कपड़ा प्रहलाद के ऊपर आ गया, जिससे भक्त प्रहलाद की जान बच गई और होलिका उस अग्नि में स्वाहा हो गई। तब से फागुन मास की पूर्णमासी को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मानते हुए होली का त्योहार मनाया जाता है।

होलाष्टक समाप्त होने पर रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार 10 मार्च को पूरे देश में होली खेली जाएगी। मगर, हर बार की तरह इस बार भी ब्रजमंडल की लट्ठमार होली और मथुरा, वृंदावन, बरसाना आदि जगहों पर फूलों का होली आकर्षण का मुख्य केंद्र रहेगी। वहीं, मध्य-प्रदेश के मालवांचल में भगोरिया नाम का त्योहार मनाया जाना शुरू हो गया है, जिसे प्रणय पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान युवक-युवतियां अपने प्रेमी-प्रेमिका के साथ भाग जाते हैं।

error: Content is protected !!
Exit mobile version