उत्तराखंड की तरह जगमहंत में भी बना है भगवान बद्री विशाल का मंदिर
जांजगीर चाम्पा। हिंदू धर्माें में चारधाम की यात्रा का विशेष महत्व है। इन चार धामों में उत्तर में भगवान बद्रीनाथ का दर्शन कठिन माना जाता है। उत्तराखंड में पहाड़ के ऊपर होने के कारण वहां जाना सभी लोगों के बस की बात नहीं होती है, लेकिन यदि आप उनका दर्शन करने के लिए उत्तराखंड नहीं जा सकते तो भी कोई बात नहीं। आप भगवान बद्रीविशाल की प्रतिमा का दर्शन जांजगीर-चांपा जिले के जगमहंत ग्राम जाकर कर सकते हैं। यहां यह मंदिर गांव के बनाफर दंपती ने बनवाया है।
ग्राम जगमहंत जिला मुख्यालय से नवागढ़ रोड में बमुश्किल 12 किमी दूर है। यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां के बंधवा तालाब के पास भगवान बद्री विशाल का मंदिर बनवाया गया है। इस मंदिर में लगभग वैसी ही प्रतिमा स्थापित की गई है, जैसी प्रतिमा उत्तराखंड के मंदिर में है। भगवान बद्रीनाथ के अलावा मंदिर में मां लक्ष्मी, भगवान नर नारायण, देवर्षि नारद, भगवान कुबेर, गरूण जी, भगवान गणेश जी, उद्धव सहित दस प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।
मंदिर का निर्माण गांव दिलहरण सिंह बनाफर और उनकी पत्नी कावेरी देवी ने कराया है। कावेरी ठाकुर ने बताया कि उनके विवाह के लंबे समय के बाद संतान नहीं हो रही थी। तो उनकी सास केवरा बाई ने भगवान बद्रीनारायण का दर्शन करने जाने के लिए संकल्प लिया। इसके बाद उनका परिवार भगवान का दर्शन करने के लिए गए। वहीं उनकी सास ने मन्नत मांगी थी, कि उनके आंगन में बच्चों की किलकारी गूंजने पर ध्वजा चढ़ाएंगी। भगवान ने उनकी अर्जी सुनी और दूसरे साल उनके यहां बेटा हुआ। उन्होंने बताया कि मूर्ति बिल्कुल बद्रीनाथ की प्रतिमा जैसी हो इसके लिए वहां से फोटो लेकर आए थे और जयपुर के मकराना से प्रतिमा बनवाई गई।
चार धामों में उत्तर में भगवान बद्री विशाल, दक्षिण में रामेश्वरम, पश्चिम में द्वारिका और पूर्व में भगवान जगन्नाथ पुरी हैं। जिले में दूसरा धाम भी है। जिला मुख्यालय से लगे ग्राम पेंड्री के ग्रामीणों ने स्वयं व्यवस्था करके एक भव्य मंदिर का निर्माण किया है। इस मंदिर में पुरी की तरह भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा स्थापित की गई है। मंदिर में वहां की परंपरा के अनुसार समय के अनुसार भगवान को प्रसाद लगाया जाता है। मंदिर के चारों ओर विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। ग्रामीण अभी ऊपर और गुंबद लगाने की तैयारी में है।