2100 फीट ऊंची पहाड़ी पर माता हिंगलाज भवानी, 52 सिद्ध पीठों में से एक, यहां पहुंचना नहीं आसान

कबीरधाम। छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में विराजमान माता हिंगलाज भवानी 52 सिद्ध पीठों में से एक है. मां हिंगलाज भवानी 2100 फीट ऊंची पहाड़ी पर एक रहस्मयी गुफा में विराजमान है. चैत्र नवरात्रि पर हर रोज मां के दर्शन करने भक्त मुश्किल भरा रास्ता पार कर पहुंच रहे हैं.
कबीरधाम मुख्यालय से लगभग 65 किलोमीटर दूर राजनांदगांव मार्ग पर लोहारा विकासखंड का गांव सुतियापाट है. जंगल के बीचों-बीच एक जलाशय है. उसी से कुछ दूरी पर एक विशाल पहाड़ के उपर अंधेरे गुफा में मां हिंगलाज भवानी विराजमान हैं. इस मंदिर में दर्शन करने लोगों को पैदल पथरीले रास्ते से होकर पहुंचना पड़ता है.
मंदिर के पुजारी केम लाल कहते हैं कि यहां विराजमान माता हिंगलाज भवानी देवी का सिद्धपीठ है.पहले लोगों को पता ही नहीं था कि इस पहाड़ पर देवी माता विराजमान हैं. पुराने लोगों से उन्हें पता चला कि गाय बकरी चराने आऐ लोगों ने पहाड़ पर बने गुफा को देखा था. कुछ लोग गुफा के अंदर गए तब उन्होंने सिद्धपीठ देवी को विराजमान देखा. उसके बाद धीरे-धीरे लोगों को मां हिंगलाज के बारे में पता चला और लोग यहां आने लगे. लगभग 30 साल से वह हिंगलात माता मंदिर में पूजापाठ और मंदिर की देखभाल कर रहे हैं. उनसे पहले उनके पूर्वज मंदिर में पूजा पाठ करते थे.

मंदिर में रहस्यमयी गुफा: जिस गुफा के अंदर देवी माता विराजमान है. उस गुफा को लोग रहस्यमयी बताते हैं. गुफा के अंदर जाने पर लगभग 50 मीटर में देवी मां विराजमान है. वहां से गुफा में अंदर जाने का रास्ता छोटा हो जाता है. लोग कुछ दूर जाकर वापस लौट आते हैं. लोगों का मानना है कि गुफा के अंदर ही अंदर डोंगरगढ़ के मां बम्लेश्वरी मंदिर और भोरमदेव मंदिर तक रास्ता जाता है.
कबीरधाम , दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, बेमेतरा से श्रद्धालु आते हैं. 30 साल से यहीं सेवा कर रहा हूं. नरवा के उस पार सुतनिन पाठ है, यहां सुतियापाठ के नाम से जाना जाता हैं. -केम लाल, पुजारी
साल 2003 में पहाड़ के नीचे प्रशासन की तरफ से एक बड़े जलाशय का निर्माण कराया गया. जिसे सुतियापट जलाशय के नाम से जाना जाता है. जलाशय के कारण लोग आस-पास घर बनाकर बसने लगे और मंदिर में लोगों का आवागमन बढ़ने लगा. धीरे-धीरे मंदिर तक पहुंचने के लिए एक कच्चा रास्ता और अन्य व्यवस्था की गई. अब यहां मंदिर में देवी माता के दर्शन करने लोग पूरे प्रदेश भर से आते हैं. मंदिर काफी ऊंची पहाड़ में होने के कारण हर कोई मंदिर तक तो पहुंच नहीं पाता लेकिन बहुत से लोग मंदिर तक पहुंच कर मां हिंगलाज के दर्शन कर आशिर्वाद जरूर लेते है. कहते हैं कि जो भी यहां एक बार आशीर्वाद लेकर जाता है, माता उसकी मुराद जरूर पूरी करती है जिसके बाद श्रद्धालु यहां बार-बार आते हैं.
लोहारब्लॉक से आए हैं. यहां आने के लिए रास्ता कठिन है. लगभग 1 घंटे का सफर कर आए हैं. आधी दूर तक गाड़ी से आए. फिर पैदल आए हैं.- श्रद्धालु
सुतियापाठ में माता जी का मंदिर है, भोलेनाथ का मंदिर है. बहुत सुंदर पर्यटनस्थल है. बहुत श्रद्धालु आते हैं. ऐसा पता चला तो आए हैं. सुख शांति, परिवार में सब अच्छा हो इसकी कामना करने मां का आशीर्वाद लेने आए है. – अंजोर दास सेन, श्रद्धालु
शासन और प्रशासन अगर इस जगह और मंदिर पर ध्यान दें तो यह मंदिर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो सकता है. यहां जंगल के बीच एक बहुत बड़ा जलाश्य होने के कारण पूरे साल पानी लबालब भरा होता है. यहां का नजारा भी काफी खूबसूरत है. मंदिर से एक तरफ पहाड़ और जंगल नजर आते हैं तो दूसरी ओर जलाशय मन को मोह लेता है. यहां पहुंचने के लिए अच्छी सड़क, पेयजल और अन्य संसाधन की व्यवस्था हो तो लोग अपने परिवार के साथ घूमने व मंदिर दर्शन करने पहुंचेंगे. जिससे क्षेत्र को पर्यटक स्थल के रूप में पहचान मिल सकती है.