रायपुर।  हमने सालों तक प्रकृति के साथ जो खिलवाड़ किया है, उसका असर मौसम पर नजर आता है. आज कब मौसम बदल जाए, उसका कोई पता नहीं चलता. आज के वक्त में सबसे ज्यादा जरूरत पर्यावरण के संतुलन की है. आज विश्व मौसम विज्ञान दिवस है. लोगों को मौसम विज्ञान और इसमें हो रहे परिवर्तन की जानकारी मिल सके, इस उद्देश्य से इस दिन को खासतौर पर दुनियाभर में मनाया जाता है। 

30 मार्च 1950 को विश्व मौसम संगठन संयुक्त राष्ट्र के एक विभाग के रूप में स्थापित हुआ. इसका मुख्यालय जेनेवा में रखा गया। 

मौसम विभाग के काम

  • मौसम विभाग कई विषयों पर शोध करता है. इसमें बाढ़, सूखा, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के साथ बारिश और चक्रवात की स्थिति की संभावना का पता किया जाता है। 
  • ये हवाई यातायात, समुद्री यातायात के लिए मौसम की सटीक जानकारी उपलब्ध कराता है। 
  • गुब्बारों, आधुनिक रडार और उच्च तकनीक से युक्त कंप्यूटर की सहायता से मौसम की सटीक जानकारी दी जाती है। 
  • मौसम विज्ञान अलग-अलग शहरों के उच्चतम नियंत्रण तापमान और वहां के प्रदूषण का स्तर भी बताता है। 

राजधानी रायपुर के मौसम विभाग पर एक नजर

मौसम विभाग में मौसम की जानकारी लेने के लिए कई आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं। 

  • हैविंड अनेनोमेटर– यह उपकरण हवा की गति के बारे में बताता है. हवा कितनी तेजी से चल रही है और किस दिशा से किस दिशा की तरफ हवा चल रही है, उसका पता इस उपकरण से चलता है। 
  • एयर कंपास- हवा किस दिशा से चल रही है, ये इसके बारे में बताता है. इंस्ट्रूमेंट में नॉर्थ, साउथ, ईस्ट, वेस्ट का टैग लगा रहता है, जो ये बताता है कि हवा किस दिशा से किस दिशा की तरफ जा रही है। 
  • सनशाइन रीडर- सुबह से शाम तक सूरज की जानकारी देता है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि सूरज पूर्व में उगता है और पश्चिम में डूबता है. सूरज की तीव्रता को बताने लिए इस उपकरण का उपयोग किया जाता है। 
  • थेरोमेंटर- ड्राईएबल, वेटएबल, मैक्सिमम टेंपरेचर, मिनिमम टेंपरेचर ये चारों थर्मामीटर हवा में पानी का स्तर और टेंपरेचर को मापने का काम करते हैं। 
  • मौसम वैज्ञानिक से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि सभी शहरों में मौसम की सटीक जानकारी अक्सर दिल्ली के केंद्र से मंगाई जाती है।  हर 3 घंटे में मौसम की जानकारी मंगाई जाती है।  प्राकृतिक आपदा के दौरान मौसम की सटीक जानकारी दे पाना थोड़ा मुश्किल होता है, इसके बावजूद लगभग 80 फीसदी मौसम विभाग की जानकारी सही होती है।  छत्तीसगढ़ में मौसम का पता सैटेलाइट के जरिए चलता है। 

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