November 25, 2024

CG – RIPA : पुनर्जीवित हो रहे परंपरागत व्यवसाय, आजीविका गुड़ी में दिख रहा कुम्हार शिल्प का उत्तम नमूना, आय के साथ संस्कृति का भी हो रहा संरक्षण

छत्तीसगढ़ सरकार की जनहितैशी योजनाओं ने लोगों की जेब में पैसे डालने का काम किया है. आजीविका के साथ-साथ परंपरा और संस्कृति को सहेजने का काम भी सरकार लगातार कर रही है. शासन की ओर से ग्रामीणों और युवाओं को नये उद्यमों की स्थापना और रोजगार सृजन के लिए महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क रीपा की स्थापना की गई है. इन केंद्रों में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से लोगों को स्वरोजगार मिला है. वहीं रीपा केंद्रों में शासन की ओर से आजीविका गुड़ी स्थापित किए जाने से सभी वर्गों को अपने परंपरागत व्यवसायों को नई पहचान दिलाने का अवसर मिला है. आजीविका गुड़ी के अंतर्गत रीपा केंद्रों में गतिविधि से संबंधित जाति वर्ग के परिवारों को उनके परंपरागत व्यवसाय से जोड़ा जा रहा है. जिसमें लौह गुड़ी, मोची गुड़ी, तेल गुड़ी, बांस शिल्प गुड़ी, धोबी गुड़ी, मिट्टी गुड़ी, बढ़ाई गुड़ी, बेल मेटल गुड़ी स्थापित किए जा रहे हैं. इन योजनाओं का उद्देश्य लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करने के साथ ही परंपराओं और संस्कृति को जीवित रखना भी है.

कोरिया जिले के विकासखण्ड सोनहत के कुशहा गौठान में मिट्टी गुड़ी की स्थापना की गई है. जहां कुम्हार शिल्प कला का उत्तम उदाहरण देखने को मिल रहा है. कुम्हार वर्ग के टेराकोटा निर्माण समिति नाम से समिति स्थापित कर ग्राम के दस लोगों ने अपने परंपरागत व्यवसाय को सहेजने की ठानी और शासन की मदद से अपने इस कार्य में जुट गए. समिति के सदस्य देवीदयाल बताते हैं कि उन्होंने 2019 से छोटे रूप में मिट्टी के बर्तन बनाने का काम शुरू किया था, फिर जैसे ही उन्हें रीपा अंतर्गत आजीविका गुड़ी के बारे में पता चला, उन्होंने साथियों के साथ मिलकर समिति बनाई और गौठान में ही कार्य करना शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि यहां मिट्टी के बर्तन, गुल्लक, घड़ा, दीये, कलश, डोकसी के साथ ही साथ सजावट के समान भी बनाते हैं. जिसकी अच्छी डिमांड मार्केट में है. त्यौहारी सीजन में तो विशेष रूप से मांग बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि विक्रय के लिए उत्पाद लोकल मार्केट के साथ ही साथ सी मार्ट में भी भेजे जाते हैं. पिछले दो साल में कुल एक लाख से भी ज्यादा का विक्रय किया गया है. वे बताते हैं कि अभी शादियों के सीजन में भी उनके पास बड़ी संख्या में ऑर्डर आते हैं.

परंपरागत व्यापार से जुड़कर खुश हूं- कुंजलाल

समिति के सदस्य कुंजलाल बताते हैं कि वे अपने परंपरागत व्यवसाय से जुड़कर बहुत खुश हैं. उनका कहना है कि जब से उन्होंने टेराकोटा का काम शुरू किया है तब से उन्हें यही काम अच्छा लगता है और किसी दूसरे काम में मन ही नहीं लगता. शासन की मदद से आजीविका के साथ-साथ अपनी परंपरा और संस्कृति को हमे सहेजने का अवसर मिला है. जिससे हम बहुत खुश हैं. इस कार्य से हुई आमदनी से उन्होंने बाइक भी खरीद ली है. वे बताते हैं कि दूसरे लोगों को भी वे काम सिखाते हैं और खुद भी मन लगाकर काम करते हैं.

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