GOOD NEWS – हरिशंकर कुर्रे गुरूजी : नेत्रहीन होने के बाद भी मन की आंखों से बच्चों में फैला रहे ज्ञान का प्रकाश
धमतरी। खुद की आँखों में रौशनी ना हो तो क्या हुआ? हरिशंकर गुरूजी विगत 20 सालों से बच्चों में ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं। परिवार वालों के प्रोत्साहन और टेपरिकार्डर की मदद से 12 वीं पास कर इस सेवा में आये कुर्रे गुरूजी आज किसी परिचय के मोहताज़ नहीं हैं। प्राइमरी स्कूल के नेत्रहीन शिक्षक हरिशंकर कुर्रे न सिर्फ अपने विद्यार्थीयों में लोकप्रिय हैं, बल्कि शिक्षा विभाग भी उनके कर्तव्य परायणता का मुरीद है.
धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर नगरी इलाके में छिपली गांव है. यहां के माध्यमिक शाला में शिक्षक के पद पर हरिशंकर कुर्रे पदस्थ हैं. ये बच्चों को स्कूल में समाजिक विज्ञान, हिन्दी और विज्ञान के विषय पढ़ाते हैं. इस शिक्षक की खास बात ये है कि ये दोनों आख से देख नहीं पाते. बावजूद इसके ये बच्चों को बेहद ही रोचक अंदाज में पढ़ाते हैं और बच्चे भी इस शिक्षक के पढ़ाने के तरीके को काफी पसंद भी करते हैं।
हरिशंकर को अपनी दोनों आंखे नहीं होने का तनिक भी मलाल नहीं है. इनकी ये कमजोरी कभी भी इनके मंजिल के आगे रोडा नहीं बना, ना ही कभी इनका जज्बा और लगन कम हो पाया. दिव्यांग शिक्षक हरिशंकर कुर्रे की मानें तो जीवन के इस पड़ाव में कई बार परेशानी और मुसीबतें आई है, लेकिन इसके बाद भी कभी भी हार नहीं मानी. इसके विपरित पहले के मुकाबले अपने पेशे और हुनर को तरशता रहा है जिससे बच्चों को पढ़ने और समझाने में दिक्कते ना हो. इनके पढ़ाने का अंदाज भी कुछ अलग है. बच्चे पहले इनको पढ़कर सुनाते हैं. इसके बाद दिव्यांग शिक्षक बच्चों को बेहद रोचक अंदाज से समझाते हैं.
वहीं शिक्षक हरिशंकर का कहना है कि इंसान को हर परिस्थितियों का डटकर सामना करना चाहिए, ना की किसी परेशानी के चलते अपना पैर पीछे खीच लेना चाहिए. हरिशंकर कुर्रे का एक आंख जन्म से ही खराब था और दूसरा उस वक्त खराब हुआ जब ये कक्षा आठवीं में पढ़ रहे थे. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और आगे की पढ़ाई जारी रखी।
इस दिव्यांग शिक्षक के पढ़ाने के अंदाज से पूरे स्टाफ के शिक्षक और बच्चे भी काफी प्रभावित हैं. बहुत आसानी के साथ बच्चों को ये सब्जेक्ट समझाते है, जिससे पढ़ने वाले बच्चे आसानी से समझ जाते है. स्कूल में सभी लोग इनके हर काम में मदद भी करते हैं जिससे हरिशंकर को ज्यादा परेशानी ना हो. वहीं बच्चे भी अपने इस शिक्षक के व्यवहार और पढ़ाने के अंदाज से काफी खुश रहते हैं. स्कूल में पढ़ने वाली मुक्तेश्वरी और माधवी ने बताया कि हरिशंकर सर के पढ़ाने का अंदाज़ ही बेहद रोचक होता है. वो बच्चों से बेहद प्यार से बात करते हैं।
जिला प्रशासन भी इस दिव्यांग शिक्षक के हौसले और जज्बे को सलाम करते नजर आ रहे है और शासन प्रशासन की ओर से हर संभव मदद करने की बात कह रहे है. जिला शिक्षा अधिकारी रजनी नेल्सन ने कहा कि ऐसे शिक्षकों का सम्मान होना चाहिए. शिक्षा विभाग हरिशंकर कुर्रे की मदद और सम्मान के लिए हर सम्भव कोशिश करेगा. हरिशंकर उन शिक्षकों के लिए एक सबक भरी प्रेरणा हैं जो पगार बढ़ाने, मनपसंद जगह तबादला करवाने और सौ तरह की समस्याओं का रोना रोते हैं।