November 13, 2024

सरकार की इस योजना ने बना दिया ‘लखपति दीदी’, कौन हैं छत्तीसगढ़ की कविता बराल?

सरगुजा। महिलाएं हमारे समाज की रीढ़ कही जातीं हैं लेकिन अक्सर उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए जीवन में भारी संघर्ष करना पड़ता है। अब, भारत सरकार की लखपति दीदी योजना ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। इस योजना के जरिए महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे वे अपने व्यवसाय की शुरुआत कर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं।

ऐसी ही एक कहानी है अम्बिकापुर विकासखंड की रहने वाली कविता बराल की, जिन्होनें उदाहरण पेश करते हुए घरेलू कामकाज के साथ ही अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को इतना मजबूत कर दिया है कि अब इन्हें किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं है। तो आईए जानते हैं कविता बराल की लखपति दीदी तक के सफर तक पहुंचने की सक्सेस स्टोरी के बारे में…

अपने क्षेत्र में बेहद मशहूर हैं कविता : घर की माली हालत से लखपति दीदी बनने तक के सफर को जानने जनरपट की टीम पहुंच गई सरगुजा जिले के डिगमा गांव में, जहां हमने राह चलते एक व्यक्ति से जब लखपति दीदी कविता बराल का पता पूछा तो उसने बडे ही मुस्कुराते हुए हमसे कहा कि समूह वाली दीदी के बारे में पूछ रहे हैं, जो सबकी मदद करती हैं।

पता पूछकर हम पहुंचे उनके व्यवसायिक स्थल और उनके घर, जहां उन्होंने हमें अपने संघर्ष के बारे में बताया। बताते हुए वह काफी भावुक हुईं और सरकार से मिलने वाली योजनाओं के कारण लखपति दीदी का दर्जा प्राप्त करने की कहानी बताने लगीं।

परिवार ने किया फुल सपोर्ट : उन्होंने बताया कि वो अपने शादी के बाद जब ससुराल आईं तो उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और उनका ज्वाइंट परिवार था। इसके साथ ही वे सभी कच्चे मकान में ही रहा करते थे। धीरे-धीरे उन्हें ये एहसास होने लगा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो आगे और तकलीफ आ सकती है, जिसके बाद इन्होंने अपने आप को मजबूत बनाते हुए कुछ करने का मन बनाया। सबसे पहले अपने ससुर से कुछ करने की जिज्ञासा लेकर उनके पास पहुंची। ससुर ने उनका सपोर्ट करते हुए कुछ करने की बात की और मोटिवेट किया। इसके बाद कविता में एक अलग ही एनर्जी का संचार हो गया। उसी वक्त शासन की चल रही योजना के तहत स्वयं सहायता समूह से जुडने की बातें काफी तेजी से लोगों तक पहुंच रही थी, जिसे लेकर इन्होंने एक स्वयं सहायता समूह बनाने की ठान ली और इसकी शुरूआत कर दी।

पचास का लक्ष्य, 15 जोड़े फिर बनीं लखपति दीदी : ये बताती हैं कि शुरूआत में तो कोई समूह में नहीं जुड रहा था लेकिन धीरे धीरे समझाने के बाद दस लोगों का एक समूह बन गया, जिसका नाम साईं बाबा स्वयं सहायता समूह रखा गया। इसके बाद सभी ने ये फैसला लिया कि महीने में सभी पचास रूपए अपने समूह को मजबूत करने के लिये जमा करेंगी लेकिन इन महिलाओं के पास पचास रूपये भी महीने के जमा करने के लिये नहीं हो पाते थे। इन्होंने पन्द्रह रूपए सप्ताह के जमा करना शुरू किया और महीने के आखिरी में जिस भी सदस्य का पैसा कुछ कम होता था, वो उसे आखरी समय में पैसा दे देता था। ऐसा करते करते इनके समूह ने कुछ महीनों में ही पांच हजार जोड लिए और फिर यहां से कुछ करने का ख्याल सबके मन में आने लगा।

सभी लोन और ब्याज को लेकर काफी संकोच में थे कि यदि इन पैसों को अपने किसी काम में प्रयोग कर लें तो उसका ब्याज कैसे पटाएंगे। इन्हीं सब के बीच एक महिला ने सिलाई के काम के लिये सबसे पहले समूह से तीन हजार का लोन लिया और उसका ब्याज भी धीरे धीरे पटाने लगी। जिसके बाद सभी सदस्यों में एक कॉफिंडेंस आ गया और बैठक में बचत बढाने के साथ साथ उन पैसों का अपने कामों में उपयोग करने लगे।

तरह-तरह के खोल लिए बिजनेस : ऐसे ही करते करते किसी ने दूध डेयरी, किसी ने सिलाई सेंन्टर, कपडे का व्यवसाय, श्रृंगार की दुकान खोल ली। इनकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगी। वहीं इन्हें धीरे धीरे ये भी लगने लगा कि शासन की योजनाओं नें इन्हें सबल बनाना शुरू कर दिया है और लोन भी दे रही है। इसके बाद इन्होंने योजनाओं के तहत लोन लेना शुरू किया। सरकार ने इनकी मदद की और इस लोन के पैसे से इन्होंने अपने व्यवसाय को काफी आगे बढा दिया। कविता बताती हैं कि अब इन्हीं पैसों से ये अपने कपडे का व्यवसाय के अलावा दो पोल्ट्री फार्म भी खोल ली है, जिनसे इन्हें काफी मुनाफा हो रहा है। अब उनका खुद का एक बडा घर और अपना खुद का कपड़े का एक दुकान है, जिससे इन्हें काफी कमाई होती है। अब ये लखपति दीदी के तौर पर पहचानी जा रही हैं।

सीएम और पीएम को दिया क्रेडिट : कविता बराल कहती हैं कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री ने महिलाओं के लिये सोचा, जिस कारण से आज उन्हें लखपति दीदी के नाम से जाना जाने लगा है। इसके लिये उन्हें धन्यवाद है। वहीं उन्होंने आगे कहा कि सभी महिलाओं को समूह से जुडना चाहिये। सिर्फ पैसे के लेन देन के लिये नहीं, बल्कि समाज सेवा करने के लिये भी ये अच्छा माध्यम है। इस माध्यम से जुड कर एक दूसरे की मदद के साथ साथ अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलती है। साथ ही, उन्होंने आगे कहा कि वो दिन दूर नहीं, जब हम शासन की मदद से लखपति दीदी के बाद करोडपति दीदी का भी दर्जा प्राप्त करेंगे।

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